लोग अपनी सेक्स पावर को बढ़ाने के लिए इतने बेताब रहते है कि उसके लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाते है. यदि किसी ने कोई नुस्खा बताया है तो उसे तुरंत ट्रॉय करने लगते है. कई तो इसके चक्कर में हजारों रूपए भी उड़ा देते है.
उदहारण के लिए सेक्स पावर बढ़ाने वाले कथित तेल को ही ले लीजिए. अक्सर ऐसे विज्ञापन नजर आ जाते हैं, जिसमें यह दावा किया जाता है कि अमुक तेल के इस्तेमाल से सेक्स की क्षमता में बढ़ोतरी होती है और सेक्स के दौरान भरपूर आनंद आता है. हकीकत यह है कि इस तरह के किसी तेल से कोई फायदा नहीं होता है.
भ्रामक विज्ञापन देने वाली कंपनियों का बिजनेस तो खूब बढ़ता है. पर इसे इस्तेमाल करने वाले लोग खुद को ठगा महसूस करते हैं. सांडे का तेल सेक्स पावर बढ़ाने वाला माना जाता है. इस बात की सच्चाई साबित नहीं की जा सकी है. यह मात्र लोगो से पैसे ऐठने का एक तरीका है.
सांडा- सांडे का तेल बड़े कमाल की चीज है जिसे हकीम लोग लिंग का एवरीथिंगपन(टेढ़ापन, पतलापन, छोटापन) दूर करने के लिए कस्टमर को चिपकाते हैं, ये निकाला जाता है सांडा नाम के जीव से. इसका वैज्ञानिक नाम युरोमेस्टिक हार्डवीकी है. छिपकली जैसा होता है सरीसृप परिवार का प्राणी है. शकल से भले शक्ति कपूर जैसा डरावना हो लेकिन होता है सीधा आलोक नाथ जैसा. इसी सीधेपन का फायदा उठा कर शिकारी इनको धर लेते हैं. तुलसी ने कहा है न ‘अधिक सिधाई है बड़दोसू’ राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में पाया जाता है, शुष्क माहौल में रहने वाला है. नर सांडा की लम्बाई 2 फुट तक हो सकती है लेकिन मादा की कम होती है. इसके पास पंजे बड़े मजबूत होते हैं लेकिन उनका इस्तेमाल सिर्फ बिल खोदने के लिए करता है ये नहीं कि पकड़ने वालों को खर्चा पानी दे सके. कहा जाता है कि इसके तीन दांत होते हैं, एक ऊपर की तरफ और दो नीचे. अप्रैल मई के महीने में इनका इश्क परवान चढ़ता है और मादा हो जाती है प्रेगनेंट. फिर ये 15-20 अंडे देती है लेकिन आधे से ज्यादा बेकार हो जाते हैं.
पकड़ने वाले बहुत होशियारी से काम लेते हैं क्योंकि ये भी थोड़ा सयाना होता है. यह अपने बिल को मिट्टी से ढक कर रखता है और पकड़ने वाले उस बिल को खोज लेते हैं जहां ताजी मिट्टी भरी होती है. फिर या तो उसको खोद देते हैं या उसमें कर देते हैं धुंआ, बेचारे सांडाराम को मजबूरन बाहर आना पड़ता है. पकड़ते ही पहला वार होता है कमर पर जिससे भागने के काबिल रह नहीं जाता और फिर काट कर मांस खा लेते हैं. अब सोचो तेल कहां गया, तो तेल इधर है भाईसाब. इसकी पूंछ के पास होती है एक छोटी सी थैली. इस थैली की चर्बी को गरमा कर दो तीन बूंद तेल निकल आता है बस. इतनी सी बात के लिए बेचारे को जान गंवानी पड़ती है. अब सुनो असली बात. यह लिंग के सेंटीनेंस के लिए दवाई हैये नहीं है. इसमें होता है पॉली अन्सेच्युरेटेड फैटी एसिड, जोड़ो और मांसपेशियों के दर्द में राहत देता है ये. लोग इसको भिंडी की सब्जी की तरह खुल कर बेंच रहे हैं जबकि सांडा मारना अब गैरकानूनी है. इसको विलुप्तप्राय प्रजाति घोषित कर दिया गया है.