Herbal Home remedies for Kidney Diseases”,” Gurde ke Rog”,”Gurde ke Rog Gharelu Ilaj”, Symptoms, Reasons, Causes-“Herbal Treatment”

गुर्दे के रोग (Kidney Disease) 

Kidney Disease- Symptoms, Reasons, Causes

 

परिचय:-

हमारे शरीर का खून 3 प्रकार से शुद्ध होता है-

फेफड़ों से ऑक्सीजन द्वारा

त्वचा के पसीने द्वारा

गुर्दो से मूत्र द्वारा

हमारे शरीर का गुर्दा एक छलनी का काम करता है। गुर्दा रक्त में यूरिया, अम्ल व अन्य हानिकारक लवण निकालकर रक्त को शुद्ध करता है। इस गुर्दे का आकार सफेद लोबिए जैसा होता है और इसका रंग बैंगनी होता है।

गुर्दों का कार्य

          स्वस्थ मनुष्य 1 दिन में लगभग 1 लीटर मूत्र (पेशाब) का त्याग करता है। गर्मियों के दिनों में पसीना निकलने के कारण पेशाब आने की मात्रा कम हो जाती है। मूत्र का रंग हल्का गेहुंआ होता है। जब कभी शरीर में कोई रोग हो जाता है तो पेशाब का रंग बदल जाता है। जब किसी व्यक्ति को बुखार हो जाता है तो पेशाब का रंग गहरा पीला या लाल हो जाता है। जब कोई मनुष्य स्वस्थ होता है तो उसके पेशाब में न तो प्रोटीन होता है और न ही शक्कर होता है। जब किसी व्यक्ति को मधुमेह रोग हो जाता है तो पेशाब में शक्कर आने लगती है।

          शरीर के सभी अंगों में से जो 2 गुर्दे होते हैं वे बहुत ही महत्वपूर्ण अंग होते हैं इन गुर्दो के द्वारा ही रक्त शुद्ध होता है और बेकार पदार्थ शरीर से बाहर निकलते हैं।

गुर्दे के रोग कई प्रकार के होते हैं

नेफ्राईटिस– इस रोग में रोगी के गुर्दे में सूजन हो जाती है जिसके कारण खून में यूरिया, सिरम क्रीटि नाइन और खून के संचारण की गति बढ़ जाती है।

नेफ्रोसीस इस रोग के हो जाने पर गुर्दे के कार्य करने की शक्ति कम हो जाती है जिसके कारण से शरीर में सूजन हो जाती है और पेशाब में एलब्यूमिन की मात्रा बढ़ जाती है।

 पायेनोफ्राइटिस– इस रोग के कारण गुर्दे के पास की उपस्थिति में सूजन आ जाती है।

गुर्दे का खराब होना- इस रोग के कारण गुर्दे की कार्यक्षमता नष्ट हो जाती है। जिसके कारण से उच्च रक्तचाप का रोग हो जाता है और ब्लड यूरिया सिरम क्रिटीनाईन, सोडियम व पोटाशियम का स्तर खतरनाक ढंग से बढ़ जाता है।

गुर्दे के रोगों के होने का लक्षण

जब गुर्दे का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके चेहरे तथा पैरों पर आंखों के आसपास सूजन हो जाता है।

गुर्दे के रोग से पीड़ित रोगी को ठण्ड के साथ बुखार भी होता रहता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी के कमर के निचले भाग में दर्द होता है तथा रोगी व्यक्ति को पेशाब करने में दर्द होता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को चक्कर आना, बेचैनी, थकावट, ब्लड में यूरिया का बढ़ जाना, पेशाब का रंग गहरा हो जाना तथा रोगी के पेशाब में एल्ब्यूमिन जमा हो जाता है।

गुर्दे के रोग होने का कारण

शरीर में विजातीय द्रव्यों का अधिक बढ़ जाने के कारण गुर्दे के रोग हो जाते हैं।

खान-पान की गलत आदतों के कारण गुर्दे का रोग व्यक्ति को हो सकता है।

मिर्च-मसाले, नमक, चीनी तथा शराब और अन्य उत्तेजनात्मक पदार्थ का सेवन करने से व्यक्ति को गुर्दे का रोग हो जाता है।

कब्ज होने के कारण भी गुर्दे का रोग हो सकता है।

त्वचा के असामान्य ढंग से कार्य करने से भी गुर्दे का रोग हो जाता है।

कोढ़ जैसे असाध्य रोगों को दवाइयों के द्वारा दबाये जाने से भी गुर्दे का रोग हो जाता है। औषधियों को अधिक सेवन करने के कारण भी यह रोग व्यक्ति को हो जाता है।

भोजन में विटामिन तथा लवणों की कमी हो जाने के कारण भी यह रोग व्यक्ति को हो जाता है।

जब कोई व्यक्ति प्रोटीन युक्त भोजन जैसे- मांस, चावल, बिना छिलके की दालें, मछली या अधिक गरिष्ठ भोजन का सेवन करता है तो उसके शरीर में रक्त (खून) में यूरिया अधिक हो जाता है जिसके कारण गुर्दे को काम अधिक करना पड़ता है और फलस्वरूप गुर्दे का कोई रोग व्यक्ति को हो जाता है।

रक्त को शुद्ध करने के अन्य दो साधनों- त्वचा और फेफड़े आदि में कोई रोग हो जाता है तो वे अपने कार्य सही तरीके से नहीं करते हैं जिसके कारण गुर्दे पर कार्य करने का भार बढ़ जाता है और जिसके कारण गुर्दे में कोई बीमारी हो जाती है।

शराब आदि का सेवन अधिक करने से गुर्दे में कई प्रकार के रोग हो जाते हैं।

चाय का अधिक सेवन करने के कारण व्यक्ति को प्यास कम लगती है जिससे पानी कम पिया जाता है और मूत्र कम आता है और जिसके परिणामस्वरूप गुर्दे का कोई रोग हो जाता है।

गुर्दे के रोगों का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

गुर्दे के रोगों को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक उपवास रखना चाहिए ताकि उसके शरीर से दूषित द्रव्य बाहर हो सके।

इस रोग से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक गाजर, खीरा, पत्तागोभी तथा लौकी के रस पीना चाहिए और इसके साथ-साथ उपवास रखना चाहिए।

तरबूज तथा आलू का रस भी गुर्दे के रोग को ठीक करने के लिए सही होता है इसलिए गुर्दे के रोग से पीड़ित रोगी को इसके रस का सेवन सुबह शाम करना चाहिए।

गुर्दे के रोग से पीड़ित रोगी को अपने भोजन में विटामिन `सी` वाले पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए। विटामिन `सी` वाले पदार्थ जैसे- आंवला, नींबू। रोगी व्यक्ति को फलों का सेवन भी अधिक सेवन करना चाहिए ताकि उसका गुर्दा मजबूत हो सके।

इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रोटीन खाद्य कम खानी चाहिए।

गुर्दे के रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को रात के समय में सोते वक्त कुछ मुनक्के को पानी में भिगोने के लिए रखना चाहिए तथा सुबह के समय में मुनक्के को पानी से निकाल कर, इस पानी को पीना चाहिए। ऐसा कुछ दिनों तक लगातार करने से गुर्दे का रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

गुर्दे के रोग से पीड़ित रोगी जब तब ठीक न हो जाए तब तक उसे नमक नहीं खानी चाहिए।

गुर्दे के रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को अपने कमर तथा पीठ पर गीली मिट्टी का लेप करना चाहिए तथा इसके बाद घर्षणस्नान करना चाहिए और फिर गर्म पानी का एनिमा लेना चाहिए। इसके बाद रोगी व्यक्ति को कटिस्नान, गर्म पाद स्नान (हल्के गुनगुने पानी में पैरों को कुछ समय तक डालना चाहिए) और इसके बाद रोगी व्यक्ति को अपने शरीर पर गीली चादर लपेटनी चाहिए तथा कमर के निचले भाग पर गर्म ठंडा सेंक करना चाहए और रोगी को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए। इस प्रकार से चिकित्सा करने से रोगी व्यक्ति कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है।

ध्यान तथा नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से गुर्दे के रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

ध्यान तथा नाड़ी शोधन प्राणायाम करने के साथ-साथ रोगी व्यक्ति को सूर्यतप्त हरी बोतल का जल भी पीना चाहिए।

इस रोग से पीड़ित रोगी को कभी नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि नशीली चीजों का सेवन करने से रोगी के रोग की अवस्था और खराब हो सकती है। रोगी को अपना इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से कुछ ही दिनों में उसका गुर्दे का रोग ठीक हो जाता है।

गुर्दे के रोगों से बचने के लिए कम से कम ढ़ाई किलो पानी सभी व्यक्ति को प्रतिदिन पीना चाहिए।

पानी में नींबू के रस को निचोड़ कर पीये तो गुर्दे साफ हो जाते हैं और गुर्दे में कोई रोग नहीं होता है।

रोगी व्यक्ति को गुर्दें के रोग को ठीक करने के लिए ऐसी अवस्था रखनी चाहिए कि शरीर से पसीना अधिक निकले।

गुर्दे के रोग से पीड़ित रोगी को यदि पेशाब सही से नहीं आता हो तो 250 मिलीलीटर दूध में 600 मिलीलीटर पानी मिलाकर, उस पानी में 2 ग्राम फिटकरी मिला दें। इस दूध को दिन में 3 से 4 बार पीने से पेशाब सही से आने लगता है जिसके फलस्वरूप गुर्दे के रोग ठीक हो जाते हैं।

हरे धनिये को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है जिसके फलस्वरूप  गुर्दे के रोग ठीक होने लगते हैं।

गुर्दे के रोग से पीड़ित रोगी जब रात को सोने जा रहा तो तब उसे किसी तांबे के बर्तन में एक लीटर पानी रख देना चाहिए और सुबह उठते ही इस पानी को पीएं। इस प्रकार की क्रिया प्रतिदिन करने से कुछ ही दिनों में गुर्दे का रोग ठीक हो जाता है।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.