गेहूं से बिमारिओं की उपचार
खासी – 20 ग्राम गेहू के दानो की नमक मिलाकर २५० ग्राम जल में उबाल ले और एक –तिहाई मात्रा में रहने पर किचित गरम-गरम पी ले | ऐसा लगभग एक सप्ताह करने से खासी जाती रहेगी |
अनेछिक वीर्यपात – रात लो सोते , पेशाब के साथ या पेशाब करने के पश्चात अनिच्छा से वीर्य निकलने की सिथति में अक मुठी गेहू लगभग बाहर घंटे भिगोकर उसको बरीकी पीस केर लस्सी बनाकर पीये | स्वाद के लिए उसमे उचित मात्रा में मिश्री मिला सकते हे | इसके सेवन से वीर्य का पतलापन भी दूर हो जाता हे |
उदर शूल – गेहू के हरिरा में चीनी व् बादामगिरी का कतक मिलाकर सेवन करने से मतिष्क(दिमाग) की कमजोरी , नपुसक था शाती में होने वाली पीड़ा शांत हो जाती है |
खुजली – गेहू के आटे को गुथ कर त्वचा की जलन,खुजली , बिना पके फोड़े फूसी तथा आग में झुलस जाने पैर लगा देने से ठंडक पड़ जाती है |
लगभग 70 ग्राम गेहू रात्रि को सोते समय पानी में भिगोये और प्रात : उन्हें पिस – छानकर स्वाद के लिए थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर पीये | ऐसा सात दिन तक करने से शरीर में उत्पन्न दहकता (गर्मी) शांत हो जाती है |
असिथ्भंग – थोड़े – से गेहू को तवे पर भूनकर पीस ले और शहद मिलाकर कुछ दिनों तक चाटने से असिथ्भंग दूर हो जाता है |
नपुंसकता – अंकुरित गेहू भोजन से पूर्व प्रात –काल नियमित रूप से कुछ दिन तक खूब चबा –चबाकर खाने से जननेनिद्र्य सम्बन्धी समस्त विकार दूर होते है | नपुंसक व्यकित पूर्णत : परूषयुक्त होकर स्त्रिप्रसग करने योग्य गो जाता है | स्वाद के लिए अंकुरित गेहू के साथ मिश्री, किशमिश का भी सेवन किया जा सकता है |
इसका सेवेन कुछ समय तक लगातार नियमित करना चाहिये |
कीट दंश – यदि कोई जहरीला कीड़ा काट ले तो गेहू के आटे में सिरका मिलाकर दंश स्थान पर लगाना चाहिये |
बद या ग्रन्थी शोध – बंद या किसी फोड़े के पकाने के लिये गेहू के आटे की पुल्टिस 7-8 बार बाध देनी चाहिये |
बालतोड़ – शरीर के किसी भी अंग पर किसी प्रकार मसलकर बाल टूट जाने से फोड़ा हो जाता है , जो की अत्यन्त दाहक और कष्टकर होता है | इसमें मुख से गेहू के दाने चबा- चबाकर बाधने से 2-3 दिन में ही लाभ हो जाता है|
पथरी – गेहू और चने को उबालकर उसके पानी को कुछ दिनों तक रोकी व्यकित को पिलाते रहने से मूत्राशय और गुरदे को पथरी गलकर निकल जाती है |