इसके अनेक नाम हैं जैसे विभीतक, कर्षफल | ये सबके सब संस्कृत नाम हैं | इसका वृक्ष बहुत बड़ा होता है | इसका फल बहुत छोटा होता है, इसकी तासीर ठंडी होती है | अधिक मात्र में सेवन करने से गर्म फल का रूप धारण करता है | सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार के रोगों में इसका सेवन लाभदायक है |
जैसे कि पाठकों को पहले भी बता चूका हूं कि त्रिफला चूर्ण हरड-बहेड़ा-आमला ये तीनों मिलकर अनेक रोगों का उपचार करने में सफल होते हैं |