नाड़ी तन्त्र, मन तथा मस्तिष्क द्वारा कार्य
हमारे शरीर में नादियों का एक बड़ा जाल है | बहुत तो सीधे मस्तिष्क से संबंधित है जबकि कुछ मेरुदंड से भी किंतु प्रत्यक्ष या परोक्ष में इनका संबंध मस्तिष्क से बना रहता है | यदि हमारा नाड़ी तन्त्र स्वस्थ है तो मस्तिष्क भी ठीक प्रकार से कार्य करता है |
- हमारा मस्तिष्क पुरे शरीर से काम लेता है | हर अंग की कार्य प्रणाली इन आदेशो का पालन करता है |
- मस्तिष्क ही शरीर की विभिन्न प्रतिकिर्याओं और कार्य प्रणाली का जिम्मेदार है | उसी का आदेश पूरा शरीर हर अंग मानता है |
- यदि नाड़ी तन्त्र अस्वस्थ होगा तरो मन का संदेश भी ठीक से मस्तिष्क तक नहीं पहुंचता | यदि मस्तिष्क पूर्ण स्वस्थ नही होगा तो वह अपनी आज्ञा नही दे पाएगा | वह शरीर के विभिन्न अंगों को सुचारू नहीं कर सकेगा | अतः पुरे सुरीर की व्यवस्था ठप्प पड़ जाएगी | यह बुरी बात होगी |
- मनुष्य में अच्छा और बुरा सिचने की क्षमता है | मनुष्य विवेकशील है | पशु विवेक रहित | यही अंतर है मनुष्य तथा पशु में | यही गुण मनुष्य को सबसे ऊपर रखता है |
- ऐसे व्यक्ति जिनका दिल हो, नाड़ी तन्त्र कमजोर हो, रात को 5 गिरी बादाम , ११ किशमिश के दाने भिगोकर प्रातः चबा चबा कर खाएँ तो उसका मन, मस्तिष्क, ह्रदय तथा नदी तन्त्र सभी सशक्त हो जाएँगे | शरीर ठेक चलेगा |
- यदि नींद कम आती है और मस्तिष्क थका रहता हो तो यह बादाम और किशमिश वाला घरेलू उपचार काम आएगा |
- यदि स्मरणशक्ति कम हो रही है और चेतना में भी कभी आने लगे तो शरीर में आई लोहत्तव की कमी पूरी करें |
- नाड़ी तन्त्र को पूर्ण स्वस्थ रखने के लिए दूध के बने पदार्थ, सोयाबीन , फल, सब्जियां,मुली,मुली के पत्ते, मोसमी, अंगूर तथा तजा प्याज खाना हिलकर रहता है |
- इन सभी बातों को धन में रख, लाभ उठाना चाहिए |
५५, पानी की कमी न होने पाए :-
ठोस पदार्थो के बिना हम अपना शरीर चला सकते है | मगर जल के बिना नही |
हमारे शरीर में ७०% पानी है | शेष 30% ठोस | रक्त में तो 90% पानी है | शेष ठोस, बिना पानी शायद ही कोई व्यक्ति जीवित रह पाए | सावधान!
- हमारे शास्त्रों में पानी को अमृत मन गया है | जल ही जीवन है | जल ही जीवन की सांसे |
- पानी हमारे शरीर के स्वास्थ्य व् शक्ति की रक्षा करता है |
- पानी अंदर ही अंदर अनेक रोगों को उपचार कर देते है|
- पानी से हम नहाकर, हाथ मुँह धोकर, बाहरी स्वच्छता करते है, जबकि पानी ही अंडर के शरीर को स्वच्छ करता है |
- पेसाब और पसीना अदि द्वारा भीतरी दूषित तथा विजातीय तत्व बाहर आ जाते है |
- पानी अपने आप में एक औषधि है | यह शरीर को रोगमुक्त करने में लगा रहता है, पानी चिकित्सा द्वारा भी तो हम रोगों से छुटकारा पा लेते है |
- प्यास लगने पर जो पानी हम पीते है, इसके अतिरिक्त भी हमारे शरीर में खूब पानी विद्यमान रहता है |
- दस्त, उल्टियाँ पेचीस कुछ भी लग जाएँ तो इनसे शरीर में पानी की कमी हो जाना आम बात है | हाईड्रेसन न हो, इसके लिए चेत रहने की आवश्यकता है |
- हमारे खाद्य पदार्थो में भी पानी विद्यमान रहता है | जिन्हें खाने से शरीर में पानी की कुछ आपूर्ति हो जाती है |
- पानी हमारे लिए पाचक भी है | इसका शरीर में विद्यमान होना भोजन को एचने में मदद करता है |
- रक्त में उचित मात्र में मिलाकर पानी इसे पतला बनता है | तभी तो रक्त संचार ठीक होने लगता है | खून जमता नहीं | यदि पानी की कमी होगी तो खून गाढ़ा हो जमने लगेगा | रक्त संचार नहीं होने पाएगा | तब अंगों का पोसण नही होगा |
- व्यक्ति के जिगर, गुर्दा अपने कार्य पानी की सहायता से ही पुरे कर पते है |
- हमारे शरीर का तापमान बढ़ कर असमान्य न होने पे, पानी यह काम भी देखता है | जो कोई इस और से लापरवाह होकर, शरीर से पानी में कमी होने देता है वह रोग का शिकार हो जाता है | अर्थात अस्वस्थ रहता है | अतः शरीर को उपयुक्त मात्र में पानी मिलता रहे |