बच्चे के पेट में कब्ज होना (Constipation in children)
यह रोग बच्चे को मां के गलत तरीके से खान-पान की आदतों के कारण होता है। जब मां का दूध बहुत अधिक गाढ़ा होता है और जब बच्चा इस दूध को पीता है तो बच्चे को यह रोग हो जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य माता के भोजन पर निर्भर करता है। यदि मां रोगी है तो बच्चा भी बीमार होता रहेगा। इसलिए केवल बच्चे की चिकित्सा नहीं करनी चाहिए बल्कि बच्चे की चिकित्सा करने के साथ-साथ मां की भी चिकित्सा करनी चाहिए। इसलिए बच्चे के कब्ज रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले मां का इलाज करना चाहिए फिर बच्चे का।
बच्चे के पेट में कब्ज रहने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
- इस रोग का इलाज करने के लिए सबसे पहले मां को अपने गलत खान-पान की आदतों को ठीक करना चाहिए।
- मां का दूध यदि गाढ़ा हो जाए तो उसे बच्चों के पीने योग्य बनाने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लेना चाहिए और फिर बच्चे को दूध पिलाना चाहिए।
- यदि मां का दूध गाढ़ा हो जाए तो बच्चे को उसके दूध की जगह पर फल तथा सब्जियों का रस पिलाना चाहिए।
- मुनक्का को पानी में भिगोकर रखना चाहिए, जब यह फूल जाए तो इसे मसलकर बच्चे को एक चम्मच दिन में 2-3 बार पिलाना चाहिए। इससे बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनता है।
- बच्चे की मां को फल अधिक मात्रा में खाने चाहिए और यदि बच्चा भी फल खा सकता हो तो उसे फल खिलाने चाहिए।
- बच्चे के इस रोग को ठीक करने के लिए बच्चे के पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए।
- बच्चे को एनिमा देने से बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनती है।
- हरड़ का चूर्ण काले नमक के साथ मिलाकर बच्चे को दिन में कम से कम 3 बार चटाना चाहिए। इससे बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनती है।
- बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनने देने के लिए बच्चे को दूध में ईसबगोल की भूसी मिलाकर रात के समय में पिलानी चाहिए। इस प्रकार से बच्चे का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनती है।