ग्रहणीशोथ – Duodenitis
Duodenitis – Reasons, Symptoms, Causes
परिचय:-
छोटी आंतों को तीन भागों में बांटा जा सकता है –
डुओडिनम (ग्रहनी)
जेजुनम (मध्यांत्र)
इलियम (रोशान्त्र)
जब पची हुई प्रोटीन, पचे हुए कार्बोहाइड्रेट और अनछुई वसा पेट के आंतों में जाती है तो आंत्र रस की मदद से ये सभी पदार्थ पूरी तरह से पच जाते हैं। यह रस आंतों में होने वाले स्राव, पित्त अम्ल तथा अग्न्याशय के रस को आपस में मिला देते हैं। जब ये पदार्थ पच जाते हैं तो इलियम में आंत्र-अंकुर नामक विशेषीकृत संरचना के माध्यम के परिपाचन क्रिया करती है। इस प्रकार यदि अवशोषक पथ (आंत की नली) ठीक नहीं होती तो कई प्रकार के रोग आंतों को प्रभावित कर देते हैं जैसे- एंटेरिक ज्वर, डुओडेनाइटिस, टायफाइड तथा सिन्ड्रोम आदि।
डुओडेनाइटिस रोग के लक्षण:-
इस रोग से पीड़ित रोगी की आंत में डुओडेनाइटिस भाग के श्लेष्मकला अस्तर में सूजन आ जाती है।
इस रोग से पीड़ित रोगी में जी मिचलाना, पेट में अफारा, पेट में गैस बनना, नाभि के दाहिनी ओर थोड़ा सा ऊपर के भाग में दर्द तथा पेट में जलन होने जैसे लक्षण नज़र आते हैं।
इस रोग से पीड़ित रोगी जब भोजन कर लेता है तब उसे कुछ घबराहट सी महसूस होने लगती है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को खाया हुआ भोजन सही से पचता नहीं है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को उल्टी होने लगती है जिससे पचा हुआ भोजन बाहर आ जाता है तथा मल में खून के छीटे आने लगते हैं।
डुओडेनाइटिस रोग होने के कारण:-
आंत के डुओडेनाइटिस भाग के श्लेष्मकला अस्तर में सूजन आ जाने के कारण से यह रोग हो जाता है।
औषधियों का जरूरत से ज्यादा सेवन करने तथा शारीरिक व मानसिक तनाव के कारण यह रोग हो जाता है।
अधिक ध्रूमपान करने, शराब पीने तथा नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करने के कारण डुओडेनाइटिस का रोग हो जाता है।
डुओडेनाइटिस रोग होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने शरीर की रक्त संचारण प्रणाली को सुधारना चाहिए। इसके लिए रोगी व्यक्ति को अपने पेट पर ठंडे लपेट तथा मिट्टी लपेट का उपयोग करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम 20 मिनट तक ठण्डा कटिस्नान करना चाहिए तथा पाचनक्रिया के क्षेत्र में मांसपेशियों की काम करने की क्षमता को सुधारना चाहिए। इसके लिए रोगी व्यक्ति को सप्ताह में 1 बार उपवास रखना चाहिए तथा अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन अपने पेट की सफाई करने के लिए ठंडे पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए।
डुओडेनाइटिस रोग को ठीक करने के लिए ठंडे तथा गर्म लपेट का प्रयोग करना चाहिए। इसके बाद रोगी को ठंडे पानी से कटिस्नान करना चाहिए तथा गैस्ट्रो-हेपैटिक लपेट का उपयोग करना चाहिए। इससे दर्द जल्दी तथा रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
डुओडेनाइटिस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सोने से पहले उदरीय लपेट का उपयोग करने से लाभ मिलता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को मिर्च-मसालेदार तथा उत्तेजक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।