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मुंहासे (Pimples)

 Pimples- Symptoms, Reasons, Causes

 

परिचय:-

मुंहासे जवानी में होने वाला एक आम रोग है। इस रोग को यौवन पीड़िका भी कहते हैं तथा इसे अंग्रेजी में एकनी कहते हैं। इस रोग को कीलें निकलना भी कहते हैं। यह रोग जवान स्त्री-पुरूषों को होने वाला रोग है। यह रोग 13 वर्ष की आयु से लेकर 25 वर्ष की आयु तक होता है। इस रोग में चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं जिन्हें मुंहासे कहते हैं। कभी-कभी तो ये मुंहासे इतने अधिक होते हैं कि रोगी का पूरा चेहरा मुंहासों से ढक जाता है।

मुंहासे दो प्रकार के होते हैं

यह मुंहासे चेहरे पर छोटे-छोटे दानों के रूप में प्रकट होते हैं और कुछ समय के बाद पक जाते हैं। इनके सूख जाने पर आस-पास की त्वचा को दबाकर इनके अन्दर की कीलें निकाल दी जाती है तो उनमें छेद हो जाते हैं जो बाद में भर जाते हैं।

दूसरे प्रकार के मुंहासें वे होते हैं जो बिना पके ही काली कील निकलने वाले होते हैं।

मुंहासे होने का कारण

मुंहासे होने का सबसे प्रमुख कारण कफ, वायु तथा रक्त के सम्बन्धित रोग है।

तैलीय पदार्थ के भोजन का अधिक सेवन करने से चेहरे की त्वचा आवश्यक रूप से चर्बीदार हो जाती है, जिससे वहां की तैलीय ग्रंथियों में वृद्धि होकर वे फुन्सियों का रूप धारण कर लेती हैं जिसके कारण चेहरे पर मुंहासे निकलने लगते हैं।

अधिक चिकनाई, शक्कर, मांस, शराब, चाय, कॉफी, सिगरेट आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने से चेहरे पर मुंहासे निकलने लगते हैं। लेकिन यह रोग केवल जवान युवक-युवतियों को ही होता है।

कब्ज तथा अजीर्ण रोग के कारण भी चेहरे पर मुंहासे हो सकते हैं।

वासनामय जीवन जीने वाले जवान स्त्री तथा पुरुषों को मुंहासे अधिक होते हैं।

स्त्रियों में मुंहासे मासिकधर्म की खराबी के कारण अधिक होते हैं।

मुंहासों का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार

मुंहासे होने का सबसे प्रमुख कारण पेट के रोग हैं इसलिए मुंहासों का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को सादा, बिना तैलीय तथा बिना चिकनाई वाले भोजन का सेवन करना चाहिए। इसके बाद मुंहासों का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।

मुंहासे रोग से पीड़ित रोगी को भोजन में साग-सब्जी, उबली सब्जियां, नींबू, संतरा, अंगूर, अनार, नाशपाती, सेब, टमाटर, गाजर, अमरूद तथा पपीते आदि का अधिक सेवन करना चाहिए।

चोकर सहित आटे की रोटी, दही और मठे आदि का सेवन करना मुंहासों के रोग में बहुत लाभदायक है।

मुंहासों से पीड़ित रोगी को दिन में 2 बार फल और 2 बार साधारण भोजन का सेवन करना चाहिए।

मुंहासें रोग से पीड़ित रोगी को एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसका पेशाब साफ होता रहे, त्वचा से पसीना निकलता रहे, फेफड़े ठीक प्रकार से काम करते रहें और कब्ज न होने पाए।

मुंहासों से पीड़ित रोगी को 1 दिन उपवास करना चाहिए फिर इसके बाद प्रतिदिन सुबह के समय में ताजी हवा में हल्की कसरत करनी चाहिए।

 मुंहासों से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक प्रतिदिन 1-2 बार अपने पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी का आधे-आधे घण्टे तक लेप करना चाहिए। यदि कब्ज बन रहा हो तो कब्ज को दूर करने के लिए चिकित्सा करानी चाहिए तथा 24 घण्टे में एक बार एनिमा लेना चाहिए।

मुंहासे रोग से पीड़ित रोगी को अपने चेहरे पर स्नो या क्रीम का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे मुंहासे समाप्त होने की बजाय और अधिक हो जाते हैं।

मुंहासों से पीड़ित रोगी को उपचार करने के लिए किसी चौड़े मुंह वाले बर्तन में पानी भरकर आग पर उबलने के लिए रख दें। जब इसमें से भाप निकलने लगे तो आग से बर्तन को उतार लें और लगभग 15 मिनट तक चेहरे पर भाप लें और इसके बाद मुलायम तौलिये से चेहरे को धीरे-धीरे रगड़कर साफ कर लें। इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे को धो लें। इस प्रकार की क्रिया सप्ताह में कम से कम 3 बार करनी चाहिए। मुंहासों को ठीक करने के लिए सूर्य की अल्ट्रावॉलेट किरणें बहुत ही लाभदायक होती है। सुबह के समय में सूर्य की किरणों में अल्ट्रावॉलेट किरणें होती हैं।

मुंहासों को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन नियमपूर्वक सूर्योदय के समय में पूरब दिशा की ओर मुंह करके सूर्य की किरणें अपने चेहरे पर लेनी चाहिए। कुछ दिनों तक इस प्रकार से उपचार करने से मुंहासे ठीक हो जाते हैं।

 मुंहासों को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को अपने चेहरे के सामने पारदर्शी शीशा रखकर ठीक सामने से प्रकाश को शीशे के बीच से गुजारना चाहिए लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि शीशा चेहरे के सामने इस प्रकार से रखें कि नीला प्रकाश चेहरे पर पड़े। इस प्रकर से कुछ दिनों तक उपचार करने से मुंहासे जल्दी ठीक हो जाते हैं।

रोगी व्यक्ति के मुंहासे जब सूख जाएं और उनमें काली कीलें दिखाई देने लगें तो उन्हें धीरे-धीरे हाथ से दबाकर निकाल देना चाहिए और इसके बाद चेहरे पर दूध की मलाई मल लेनी चाहिए। इससे मुंहासे जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।

मुंहासों को ठीक करने के लिए मसूर का चूर्ण, घी और दूध को एकसाथ मिलाकर चेहरे पर उबटन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।

मुंहासों से पीड़ित रोगी को रात के समय कच्चे दूध को चेहरे पर मलना चाहिए और सुबह के समय उठकर चेहरे को अच्छी तरह से धो लेना चाहिए। इससे मुंहासे जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।

संतरे का छिलका पानी में पीसकर दिन में 3 बार चेहरे पर मलने से मुंहासे जल्दी ठीक हो जाते हैं।

दही में काली चिकनी मिट्टी को मिलाकर, इस उबटन को रात के समय में चेहरे पर लगाकर सो जाएं। फिर इसके बाद सुबह के समय में उठकर चेहरे को धो लें। इस प्रकार की क्रिया कुछ दिनों तक करने से मुंहासे जल्दी ठीक हो जाते हैं।

 छुहारे की गुठली को घिसकर नींबू के रस के साथ मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को रात को सोने से पहले चेहरे पर लगा लें और थोड़ी देर के बाद धो लें। इस क्रिया को प्रतिदिन करने से कुछ ही दिनों में चेहरे के मुंहासे ठीक हो जाते हैं।

मुंहासों को ठीक करने के लिए मुलहठी को पानी में पीसकर लेप बना लें, इसके बाद इस लेप को चेहरे पर मल लें। इससे कुछ ही दिनों में मुंहासे ठीक हो जाते हैं।

धनिया, सफेद बच, पीली सरसों, पठानी, लाल चन्दन, मजीठ, कड़वी कूठ, मालकंगनी, कालीमिर्च, बड़ के अंकुर, सेंधानमक प्रत्येक औषधि को 10-10 ग्राम की मात्रा में ले लें। फिर इसके बाद 5 ग्राम हल्दी और 40 ग्राम मसूर की दाल पहले की सामग्री के साथ मिलाकर पीस ले और चमेली के तेल में मिला लें। रोगी व्यक्ति को स्नान करने से पहले लगभग इस 20 ग्राम लेप को लेकर इसमें 5 ग्राम पिसी हुई खड़िया मिट्टी मिलाकर चेहरे पर लेप कर लें। थोड़ी देर बाद लेप को मलकर छुड़ा डालें और स्नान कर लें। स्नान करने के बाद चेहरे पर चमेली का तेल मल लेना चाहिए। इस प्रकार से मुंहासों का उपचार करने से रोगी के मुंहासे ठीक हो जाते हैं।

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