मुंह के छाले (Mouth blisters)
Mouth Blisters-Symptoms, Reasons, Causes
परिचय:-
इस रोग से पीड़ित रोगी के मुंह के अन्दर जीभ से लेकर हलक तक लालपन छा जाता है तथा उसके मुंह में घाव तथा छाले पड़ जाते हैं। इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक परेशानी होती है। इस रोग को अंग्रेजी भाषा में कई और नामों से भी जाना जाता है जैसे- अल्सर, सोरथ्रोट, फेरिंग्जाईटिस, एंजाइना, सिमटलेक्स तथा सिम्पल एन्जाइना आदि।
मुंह में छाले होने का कारण–
यह रोग वैसे तो अधिकतर पेट में दूषित मल जमा हो जाने के कारण होता है। यह रोग सर्दी तथा वात रोग आदि के हो जाने के कारण भी हो सकता है। इसके अलावा धूम्रपान आदि कारणों से भी मुंह में छाले उत्पन्न हो सकते हैं।
मुंह के छालों का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार–
इस रोग को ठीक करने के लिए कुछ दिनों तक उपवास रखना चाहिए। इस दौरान रोगी को फलों के रस का सेवन करना चाहिए और एनिमा क्रिया के द्वारा पेट को साफ करना चाहिए। इसके बाद दो दिनों तक उदरस्नान करना चाहिए और रात के समय में कमर पर भीगी पट्टी अथवा पेड़ू पर गीली मिट्टी लगानी चाहिए।
रोगी व्यक्ति को अपने पैरों को कुछ दिनों तक गर्म पानी से धोना चाहिए।
मुंह के अन्दर तथा चेहरे पर भाप देना चाहिए तथा भाप देते समय सिर पर ठंडे पानी से भीगा तौलिया रखना चाहिए तथा इस क्रिया को दिन में तीन बार करना चाहिए।
इस रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए।
मुंह के छाले से पीड़ित रोगी को सादा तथा जल्दी पचने वाले भोजन का सेवन करना चाहिए।
नीली, पीली, आसमानी तथा हरी बोतलों के सूर्यतप्त जल को समान मात्रा में मिलाकर, लगभग 29 मिलीलीटर की मात्रा में लेकर रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन दिन में 6 बार पिलाना चाहिए। इसके बाद गहरी नीली तथा हरी बोतल के पानी को समान मात्रा में मिलाकर दिन में लगभग 30 मिनट के लिए रोगी को कुल्ला कराना चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।