दुबलापन (Thinness)
Thinness- Symptoms, Reasons, Causes
परिचय:-
दुबलापन रोग होने का सबसे प्रमुख कारण मनुष्य के शरीर में स्थित कुछ कीटाणुओं की रासायनिक क्रिया का प्रभाव होना है जिसकी गति थायरायइड ग्रंथि पर निर्भर करती है। यह गले के पास शरीर की गर्मी बढ़ाती है तथा अस्थियों की वृद्धि करने में मदद करती है। यह ग्रंथि जिस मनुष्य में जितनी ही अधिक कमजोर और छोटी होगी, वह मनुष्य उतना ही कमजोर और पतला होता है। ठीक इसके विपरीत जिस मनुष्य में यह ग्रंथि स्वस्थ और मोटी होगी-वह मनुष्य उतना ही सबल और मोटा होगा।
यदि देखा जाए तो 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति का वजन यदि उसके शरीर और उम्र के अनुपात सामान्य से कम है तो वह दुबला व्यक्ति कहलाता है। जो व्यक्ति अधिक दुबला होता है वह किसी भी कार्य को करने में थक जाता है तथा उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ऐसे व्यक्ति को कोई भी रोग जैसे- सांस का रोग, क्षय रोग, हृदय रोग, गुर्दें के रोग, टायफाइड, कैंसर बहुत जल्दी हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को अगर इस प्रकार के रोग होने के लक्षण दिखे तो जल्दी ही इनका उपचार कर लेना चाहिए नहीं तो उसका रोग आसाध्य हो सकता है और उसे ठीक होने में बहुत दिक्कत आ सकती है। अधिक दुबली स्त्री गर्भवती होने के समय में कुपोषण का शिकार हो सकती है।
दुबलापन होने का कारण:-
पाचन शक्ति में गड़बड़ी के कारण व्यक्ति अधिक दुबला हो सकता है।
मानसिक, भावनात्मक तनाव, चिंता की वजह से व्यक्ति दुबला हो सकता है।
यदि शरीर में हार्मोन्स असंतुलित हो जाए तो व्यक्ति दुबला हो सकता है।
चयापचयी क्रिया में गड़बड़ी हो जाने के कारण व्यक्ति दुबला हो सकता है।
बहुत अधिक या बहुत ही कम व्यायाम करने से भी व्यक्ति दुबला हो सकता है।
आंतों में टेपवोर्म या अन्य प्रकार के कीड़े हो जाने के कारण भी व्यक्ति को दुबलेपन का रोग हो सकता है।
मधुमेह, क्षय, अनिद्रा, जिगर, पुराने दस्त या कब्ज आदि रोग हो जाने के कारण व्यक्ति को दुबलेपन का रोग हो जाता है।
शरीर में खून की कमी हो जाने के कारण भी दुबलेपन का रोग हो सकता है।
दुबलेपन को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
थायरायड ग्रंथि के लिए पोषक तत्व, आयोडीन युक्त पदार्थों में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इन पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
ताजी हरी सब्जियों में भी आयोडीन पदार्थ अधिक होता है। इसलिए ताजी हरी सब्जियों का भोजन में अधिक प्रयोग करना चाहिए।
अधिक पतले व्यक्ति को मिर्च-मसालेदार सब्जियां तथा भोजन नहीं करना चाहिए।
अधिक पतले व्यक्ति को अपने पतलेपन का उपचार करने के लिए 2-3 दिनों तक अधिक मात्रा में फल खाने चाहिए तथा इसके साथ में प्रतिदिन कम से कम 100 ग्राम चोकर खाना चाहिए। इसके फलस्वरूप पतले व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
अधिक पतले व्यक्ति को आटे के चोकर फलों में मिलाकर या फिर फल के रस में घोलकर सेवन करने से कुछ ही दिनों में अधिक लाभ मिलता है।
गूदेदार फल जैसे-पपीते में चोकर मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से व्यक्ति को पतलेपन से काफी हद तक छुटकारा मिल जाता है।
रोगी को अधिक मात्रा में अपने भोजन में फलों का उपयोग करना चाहिए। इससे व्यक्ति की पाचनशक्ति बढ़ती है और व्यक्ति को भूख अधिक लगती है। जिसके फलस्वरूप उसे पतलेपन से छुटकारा मिल जाता है।
व्यक्ति को अपना वजन बढ़ाने के लिए आटा, चावल, मीठा, किशमिश, खजूर, अंजीर तथा मुनक्का का भोजन में अधिक सेवन करना चाहिए।
व्यक्ति को अपने पतलेपन को दूर करने के लिए चिकनाई की वनस्पति, श्वेतसार पदार्थ जिनसे वजन बढ़ने लगता है, अधिक मात्रा में सेवन करने चाहिए।
व्यक्ति को अपने पतलेपन को दूर करने के लिए प्रतिदिन अंकुरित दाल का भोजन में उपयोग करना चाहिए।
व्यक्ति को अपना वजन बढ़ाने के लिए सुबह के समय में उठते ही तथा रात को सोते समय और भोजन के 2 घण्टे के बाद या फिर उससे पहले थोड़ा-थोड़ा अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए।
व्यक्ति को सुबह के समय में व्यायाम करना चाहिए और टहलना चाहिए।
प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार गर्म दूध का उपयोग करने से वजन बढ़ने लगता है। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से कुछ ही दिनों में रोगी व्यक्ति पतलेपन से पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
दुबलेपन रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपनी पाचनक्रिया में सुधार करना चाहिए। इसके बाद इस रोग का उपचार करना चाहिए।
दुबलेपन रोग का उपचार करने के लिए रोगी को कुछ दिनों तक उपवास रखना चाहिए। इसके बाद कुछ दिन तक फल, सलाद, अंकुरित पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
दूध, केला, भिगोए हुए खजूर, पका हुआ आम, किशमिश आदि का उपयोग भोजन में अधिक करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को भूख से अधिक बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए तथा सदैव पौष्टिक भोजन करना चाहिए।
दुबले व्यक्ति को प्रतिदिन 100 ग्राम हरे पत्ते वाली सब्जियों जैसे पत्तागोभी, बथुआ, धनिया, पुदीना मूली के पत्ते तथा पालक का सेवन करना चाहिए।
दूब का रस तथा नारियल पानी प्रतिदिन पीना बहुत ही लाभदायक होता है।
100 मिलीलीटर गाजर का रस, 50 मिलीलीटर पालक का रस और 50 मिलीलीटर चुकन्दर के रस को एक साथ मिलाकर प्रतिदिन पीने से रोगी के शरीर में शक्ति आ जाती है जिसके फलस्वरूप रोगी का पतलापन दूर होता जाता है।
प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार दुबलेपन को दूर करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिनको करने से कुछ ही दिनों में दुबलापन दूर हो जाता है ये आसन इस प्रकार हैं- नित्य प्रति पर्याप्त व्यायाम, योगमुद्रासन, सर्वांगासन, हलासन, मत्स्यासन, प्राणायाम तथा कटिस्नान आदि।
दुबलेपन को दूर करने के लिए एनिमा लेना भी काफी फायदेमंद होता है।