मधुमेह (Diabetes)
Diabetes- Symptoms, Reasons, Causes
परिचय:-
मधुमेह (डायबिटीज) रोग से पीड़ित रोगी के पेशाब के साथ् चीनी जैसा पदार्थ निकलने लगता है तथा रोगी के खून में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। यह रोग धीरे-धीरे होता है तथा इस रोग के लक्षण कई वर्षों में रोगी को पता चलते हैं। इस रोग को प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा ठीक किया जा सकता है।
मधुमेह रोग के लक्षण-
मधुमेह (डायबिटीज) रोग से पीड़ित रोगी के पेशाब तथा खून में अधिक शर्करा हो जाती है।
रोगी व्यक्ति का पेशाब गाढ़ा तथा चिपचिपा आता है और उसे पेशाब बार-बार आने लगता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी के पेशाब में चींटी लग जाती है।
मधुमेह रोग से पीड़ित रोगी को बहुत अधिक भूख तथा प्यास लगने लगती है।
रोगी व्यक्ति की त्वचा खुश्क हो जाती है, उसे बहुत अधिक थकान महसूस होने लगती है और उसका शरीर आलस्य भरा हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी के शरीर में खुजली होने लगती है, रोगी चिडचिड़ा हो जाता है तथा उसके सिर में दर्द होने लगता है।
मधुमेह रोग से पीड़ित रोगी को कई प्रकार के अन्य रोग होने की संभावनाएं होती है जैसे- उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर), आंखों की रोशनी कम होना, हृदय रोग, गुर्दे के कई प्रकार के रोग तथा लकवा रोग आदि। इसलिए इस रोग से पीड़ित रोगी को रोग होने पर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए बल्कि जल्द से जल्द इस रोग का उपचार कराना चाहिए।
मधुमेह रोग होने का कारण–
मानसिक तनाव अधिक होने तथा शारीरिक क्रिया कम करने के कारण मधुमेह (डायबिटीज) का रोग हो सकता है।
मीठे तथा चिकने पदार्थों का अधिक सेवन करने के कारण मधुमेह रोग हो सकता है।
मधुमेह रोग आनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है जैसे- माता-पिता को मधुमेह रोग है तो उनके बच्चों को भी यह रोग हो सकता है।
यह रोग अपच, कब्ज, अधिक उत्तेजना तथा अधिक चिंता करने के कारण भी हो सकता है।
शराब तथा धूम्रपान करने और अधिक औषधियों का सेवन करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
मधुमेह का प्राकृतिक उपचार–
आधुनिक चिकित्सक मधुमेह के इलाज के लिए इन्सुलिन का प्रयोग करते हैं जबकि इन्सुलिन मधुमेह को जड़ से खत्म नहीं कर पाती है बल्कि उसे बढ़ने से रोक देती है। ऐसी स्थिति में मधुमेह रोग के दुबारा होने की आशंका बनी रहती है।
मधुमेह रोग से बचने के लिए प्राकृतिक आहार का अधिक सेवन करना चाहिए जो इस प्रकार हैं- संतरा, सेब, नाशपाती, पपीता, तरबूज, खरबूजा, अमरूद, मौसमी, गाजर, मूली, खीरा, शलजम, ककड़ी, पालक, पोदीना, मेथी, धनिया, पत्तागोभी, फलियां, शिमला मिर्च आदि।
मधुमेह रोग को ठीक करने के फलों का रस, सब्जियों का रस, नारियल पानी तथा नींबू के रस को पानी में मिलाकर प्रतिदिन पीना चाहिए।
रोजाना ताजे आंवले के रस या सूखे आंवले के चूर्ण में हल्दी का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मधुमेह रोग को ठीक करने के लिए जामुन का अधिक सेवन करना चाहिए या फिर जामुन की गुठली को सूखाकर चूर्ण बनाकर आधा चम्मच की मात्रा में पानी के साथ सुबह तथा शाम सेवन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
15 मिलीलीटर करेले के रस को 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर प्रतिदिन 3 बार लगभग 3 महीने तक पीने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है।
प्रतिदिन 1 चम्मच भीगे हुए मेथी के दाने खाने से कुछ महीने में ही यह रोग ठीक हो जाता है। मेथी दाना को पानी में डालकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
मेथी दाने का चूर्ण बनाकर पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को दूध का सेवन बहुत ही कम करना चाहिए बल्कि इसके स्थान पर छाछ का अधिक सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
300 ग्राम भिंडी की 2 फांक करके रात के समय में पानी में फूलने के लिए रख दें तथा सुबह के समय में इसको पानी से निकालकर इस पानी को पी लें तथा भिंडी को फेंक दें। यह क्रिया 1 सप्ताह तक करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
प्रतिदिन सुबह के समय में कम से कम 10 बेल की पत्ती या सदाबहार की पत्ती या जामुन की पत्ती या नीम की पत्ती खाने से यह रोग बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
तुलसी की पत्ती प्रतिदिन सुबह के समय सेवन करने से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है और यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
प्रतिदिन सुबह के समय में 2 अंजीर खाकर इसके ऊपर से 2 गिलास पानी पीने से यह रोग ठीक हो जाता है।
गेहूं तथा जौ 50 ग्राम, मूंग, बाजरा, फाफर (कुट्टू), चना 20 ग्राम, सोयाबीन तथा मक्का 10 ग्राम इन सब को मिलाकर, इसे पीसकर इसकी रोटी बनाकर प्रतिदिन कुछ दिनों तक खाने से यह रोग ठीक हो जाता है।
मधुमेह रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह के समय में खुले बदन धूप में अपने शरीर की सिंकाई करनी चाहिए तथा नांरगी बोतल में सूर्यतप्त से बनाये गय जल को भोजन करने के थोड़ी देर बाद लेने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन अपने पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए और फिर कटिस्नान तथा मेहनस्नान करना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह के समय में सैर के लिए जाना चाहिए और खुली हवा मे सांस लेनी चाहिए।