आंखों का दर्द या आंख आना: Conjunctivitis
Conjunctivitis-Symptoms, Reasons, Causes
आंखों में दर्द होने पर या आंखे आने पर हमें 2-3 दिन कुछ भी नहीं खाना चाहिए। इससे आंखें स्वयं ही धीरे-धीरे करके ठीक हो जाती हैं। यदि ऐसा नहीं होता है तो पेट के विकारों को दूर करने के लिए कोई भी हल्का जुलाब लेना चाहिए। शरीर में दूषित स्टार्च विष एकत्रित होने से प्राय: कफ के कारण यह रोग होता है। इस रोग के लिए सबसे अच्छा इलाज उपवास करना होता है क्योंकि उपवास करने से शरीर की सफाई हो जाती है। विभिन्न प्रकार के एनिमा, उपवास तथा फलाहार, दूध, आहार की बजाय रसदार फलों से कुछ दिनों तक शरीर की आंतरिक सफाई करनी चाहिए।
सूर्य किरण चिकित्सा द्वारा उपचार:
आंखों के दर्द और आंख आना के प्राकृतिक इलाज के लिए हरे रंग की कांच के बोतल में पानी को भरकर उसे सूर्य के प्रकाश में गर्म कर लेते हैं। इसके बाद इस जल से आंखों को दो-तीन बार धोना चाहिए तथा बीच में एक-दो बार सूर्य के प्रकाश में तप्त (चार्ज) गुलाबजल की दो-तीन बूंदे डालते रहने से कुछ ही दिनों में लाभ मिलता है। स्तनपान कराने वाली स्त्री का ताजा दूध आंखों में डालने से रक्त, पित्त तथा वायु से होने वाला आंखों का दर्द और आंख का आना आदि रोग नष्ट हो जाते हैं।
आंखों का मोतियाबिंद: Cataracts
मोतियाबिंद से पीड़ित रोगी को रोग के दौरान आंखों से धुंधला दिखाई देना शुरू हो तो इसके लिए इलाज के लिए सबसे पहले हरे रंग के सैलीफोन कागज की 15-16 परत बना लेते हैं। इस कागज को लगभग 3-4 महीने तक नियमित रूप से सुबह-शाम 6-7 मिनट तक आंखों के आगे रखकर सूर्य की रोशनी लेनी चाहिए। सूर्य की रोशनी लेते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सूर्य की रोशनी आंखों को चकाचौंध न कर सके। ऐसा करने से आंखों के मोतियाबिंद से छुटकारा मिल जाता है। इसके अतिरिक्त कांच के हरे रंग की बोतल में, सूर्य के प्रकाश के द्वारा (चार्ज) तैयार किया गया गुलाबजल डालकर प्रतिदिन कम से कम 4-5 बार आंखों में दो-तीन बून्द डालते रहना चाहिए। ऐसा करने से आंखों का मोतियाबिंद ठीक हो जाता है। मोतियाबिंद के पक जाने की स्थिति में आपरेशन कराना पड़ता है।
परहेज:
मोतियाबिंद के परहेज में कभी-कभी कुछ दिनों तक उपवास करना अधिक लाभकारी होता है। इस दौरान हरी साग-सब्जी, तरकारी, अंगूर, सन्तरे आदि का रस लेना चाहिए। दोपहर के भोजन में सब्जी का सलाद, अंजीर आदि सेवन करने से भूख खुलकर लगती है। मोतियाबिंद होने पर संतुलित और हल्के आहार का सेवन करना चाहिए। इस दौरान भरपेट भोजन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।