स्नायु की सूजन (inflammatory nerves)
Inflammatory Nerves– Symptoms, Reasons, Causes
परिचय:-
जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके एक या एक से अधिक स्नायु में सूजन हो जाती है जिसके कारण शरीर की नसों की कार्यप्रणाली में कमजोरी आ जाती है।
मनुष्य के शरीर में स्नायु 2 प्रकार के होते हैं-
पहला जो हमारी इच्छाशक्ति के अधीन होते हैं।
दूसरा जो स्नायु हमारी इच्छाशक्ति के अधीन नहीं होते है लेकिन पूर्णरूप से स्वाधीन होते हैं।
जो स्नायु स्वाधीन होते हैं वे अपनी इच्छा से पाचनक्रिया तथा रक्तसंचार का कार्य करते हैं। जब इन दोनों प्रकार के स्नायु में किसी प्रकार से कार्य करने में बाधा उत्पन्न होती है तो उनमें रोग उत्पन्न हो जाता है।
स्नायु (नाड़ी रोग) के कारण और भी अनेकों रोग हो सकते हैं जैसे वात ज्वर, पेशी-वात, गठिया, स्नायुशूल, वातशूल, मिर्गी. कटिवात, पक्षाघात, उन्माद, झिनझिनियां, नींद न आना, मस्तिष्क की नाड़ी का फट जाना तथा हकलाहट आदि।
स्नायु की सूजन होने की पहचान :-
इस रोग से पीड़ित रोगी के स्नायु (नाड़ी) पर दर्द, जलन, चुभन, टनटनाहट सी होने लगती है। इस रोग से पीड़ित बहुत से रोगियों के स्नायु के आस-पास की मांसपेशियों में लकवा हो जाता है।
स्नायु की सूजन होने का कारण :-
स्नायु की सूजन रोग होने का सबसे प्रमुख कारण गलत तरीके का खान-पान है जिसके कारण शरीर में दूषित द्रव्य जमा हो जाता है और यह रोग व्यक्ति को हो जाता है।
शरीर के खून में अधिक अम्लता हो जाने के कारण भी स्नायु की सूजन का रोग हो सकता है।
असंतुलित भोजन के कारण शरीर में विटामिन तथा लवणों की कमी हो जाती है जिसके कारण यह रोग हो जाता है।
किसी प्रकार से चोट तथा अन्य संक्रमण के कारण भी स्नायु में सूजन हो सकती है।
स्नायु में सूजन होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-
इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक फलों का रस (गाजर, सेब, चुकन्दर, अनन्नास, संतरा) पीकर उपवास रखना चाहिए। इसके बाद रोगी को फल, सब्जी, अंकुरित दाल का सेवन कुछ दिनों तक करना चाहिए। जिसके फलस्वरूप में दूषित द्रव्य जल्दी ही नष्ट होकर रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को कॉफी, चाय, मैदा, रिफाइंड, चीनी, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का भोजन में सेवन नहीं करना चाहिए।
सोयाबीन को दूध में डालकर उसमें शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से स्नायु की सूजन ठीक हो जाती है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को पानी में नमक डालकर प्रतिदिन स्नान करना चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।
स्नायु की सूजन ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन, यौगिक क्रियाएं तथा स्नान है जिनको प्रतिदिन करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन, यौगिक क्रियाएं और स्नान इस प्रकार हैं- रीढ़स्नान, कटिस्नान, मेहनस्नान, योगासन, एनिमा क्रिया तथा प्राणायाम आदि।
इस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में प्रतिदिन नियमित रूप से कोई हल्का व्यायाम करना चाहिए जिससे स्नायु को शक्ति मिल सके और वह सही तरीके से अपना कार्य कर सके। इस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह तथा शाम के समय में खुली हवा में टहलना चाहिए जिससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को गहरी नींद लेनी चाहिए तथा कम से कम 7 से 8 घण्टे की नींद लेनी चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार कराते समय अपनी सभी मानसिक परेशानियों, भय, चिंता आदि को दूर कर देना चाहिए।
यदि रोगी व्यक्ति किसी कार्य को करने में जल्दी थक रहा हो तो उसे वह सभी कार्य करना छोड़ देना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन शुष्क घर्षण आसन करना चाहिए तथा इसके बाद साधारण स्नान करना चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को झगड़ा-झंझट, वैवाहिक जीवन की असंगति, पारिवारिक क्लेश, आर्थिक कठिनाइयां, प्रेम सम्बन्धी निराशा, यौन सम्बन्धी कुसंयोजन, क्रोध, भय, घृणा आदि मानसिक कारणों से दूर रहना चाहिए और अपना उपचार प्राकृतिक चिकित्सा से कराना चाहिए।