कम ही खाएँ दवा
दवा रोग निवारक कम, रोग को दबाने वाली अधिक होती है | रोग जड़ से नहीं जाता अंग्रेजी दवा खाकर | इसे जड़ से भगाने का काम प्राकृतिक रोग-प्रतिकारक शक्ति ही कर सकती है | अंग्रेजी दवाओं द्वारा दबाया रोग कभी भी सिर उठा सकता है | अगली बार तो और भी तेज दवाएँ देनी पड़ती हैं | अत: दवाओं से बचें |
डॉ.एच.जी. कौत (एम.डी) ने डॉक्टरों को कभी सलाह दी थी – रोग निवारण के लिए आप दवाओं का जितना कम उपयोग करेंगे, उतना ही आपके मरीजों के लिए अधिक अच्छा होगा इसे जानकर तो हमें भी दवाओं पर निर्भर रहना ठीक नहीं | तभी स्वस्थ रहेंगे |
आज हर आदमी जल्दी में है | खाने के लिए समय ही नहीं | फास्ट-फूट से काम चलाता है | भोजन चबाकर खाने के लिए समय ही नहीं | थोड़ा-बहुत कुतर-कुतर कर निगल जाता है | रोग में गोली अंदर फैंकते ही वः ठीक हो जाना चाहता है | ऐसे में डॉक्टर भी लाचार है | वह भी तेज दवा देकर रोग दबा देता है |
हम इतना भी भूल जाते हैं कि रोग एकाएक तो हुआ नहीं | कब से हम गलत आहार-विचार कर रहे थे | अपने लिए गलत भोजन चुनकर खा रहे थे | तभी तो रोग हुआ | ठीक करने के लिए समय नहीं |
आज डॉक्टरोंका यह मानना है कि लोग अपनी जीवन पद्धती में बदलाव करने को तैयार ही नहीं | उन्हें प्राकृतिक मगर उपवास पसंद ही नहीं | उन्हें अपने स्वस्थ को सुरक्षित रखने के लिए केवल दवाएँ भी ले लेंगे | यहाँ विडंबना है |
उन्हें अपने कामकाज की, पैसा कमाने के ही चिंता है | रोग को जड़ से उखाड़ने का समय नहीं | यही उन्हें रोगी बनाए रखता है |
हर व्यक्ति को यह तथ्य तो ध्यान में रख ही लेना चाहिए कि जब हम दवा मुंह में डालते हैं तो यह पाचक तत्वों द्वारा पचती-घुलती है | फिर खून में रच-मिल जाती है | खून के दौरे के साथ यह दवा पुरे शरीर में पहुँच जाती है | केवल रोगी अंग तक नहीं | इस तरह इस दवा का असर शरीक के हर अंग में पहुँच जाता है |
जब यह दवा किसी रोग जीवाणु को निष्किय कर सकती है, तो शेष सजीव कोषों पर भी कुछ-कुछ प्रभाव डालती ही होगी | अत: यह दवा अवश्य ही पुरे शरीर को कुछ-न-कुछ क्षति पहुँचाती ही होगी | अत: दवाओं से बचें | कम-से-कम निर्भर रहें | अपने जीवन को प्रकृति की और मोड़ें | इससे रोग प्रतिकार शक्ति पैदा करें | कोई कारण नहीं कि आप अपने स्वास्थ्य को उत्तम न बना सकें | हमें दवाओं से तत्कालिक कामचलाऊ काम लेना त्याग कर अपने अंदर मनोबल पैदा कर, स्वस्थ रहना है |
Eat Less Medicine
Less preventive medicine, the disease is more pressing. English is not the root of the disease by eating medicine. The root of the drive force can act natural antibody | English pressed by disease drugs could ever lift. Medicines have to be even faster next time. Therefore, avoid drugs.
Dr.H.G. Kaut (M.D.) was advised by the doctors ever – less use of drugs for disease prevention, much more will be good for your patients know it is not right, we also rely on drugs | Only then will be healthy.
Today everyone is in a hurry. No time to eat | Fast-division runs the job. No time for meals Chew | Kutr-Kutr is little swallow. Shoot disease within the same commodities Fankte wants to recover. The doctor is also helpless. He also intensified by the drug suppresses the disease.
So even if we did not forget that the disease suddenly. When we were considering the wrong diet. Selecting the wrong meal were eating his. Only then was diseased. No time to recover.
Practices Doctoronka today believe that their life is not willing to change. But fasting is not only natural choice. Only to protect their health and take medications. Here’s the irony.
Their functioning, making money is the only concern. Not the root of the disease. He maintains that patient.
Each person should take this fact into account only when we put the drug in the mouth, it is digestive elements Pcti-dissolve. Then the blood gets drained. With a visit to the drug in the blood throughout the body swells. Not only to the patient limb. Participate in every part of the effect of the drug is reached.
When the drug is a disease that can disable the bacteria, but also somewhat affect the remaining funds will be lively. So it must be the whole body a few more of the drug delivers the damage will be. Therefore, avoid drugs. At least keep them dependent. Your life and turn to nature. This disease develop resistance power. There is no reason that you can make your health is not good. We gave up our morale drugs cause immediate recourse to improvisation, is to stay healthy.