प्रिय दोस्तों आज आपको ओनली आयुर्वेद एक ऐसी जानकारी बताने जा रहा है जिस से अगर आप कमज़ोर हो तो आपकी कमजोरी दूर हो कर शरीर पुष्ट होगा और बलवीर्य बढ़कर मैथुनशक्ति इतनी बढ़ जाएगी के एक नहीं 100 बार भी स्त्री को संतुष्ट कर सकते हो.
आयुर्वेद में लिखा है के :-
“भुक्त्वा सदैव कुरुते तरुणीशत मै थु नं पुरुष:
अर्थात इस खीर को खाने वाला 100 स्त्रियों को मै थु न से संतुष्ट कर सकता है. इसके गुणकारक होने में ज़रा भी शक नहीं है. संभव है सदा खाने वाले 100 स्त्रियों को भी तृप्त कर सके.
तो आइये जाने ये उड़द की विशेष खीर बनाने की विधि.
इसके लिए ज़रूरी सामान.
धोई उड़द की दाल – 50 ग्राम.
घी – 1 से 2 चम्मच या ज़रूरत के अनुसार
दूध – आधा किलो.
मिश्री – 50 ग्राम.
सिल बट्टा
कड़ाही
अभी जानते हैं इसको बनाने की विधि.
उड़द की विशेष खीर बनाने की विधि.
सबसे पहले धोई उड़द की दाल सिल पर पानी के साथ पीस कर रख लो. अभी कडाही में घी डाल कर इस दाल को भून लो. और एक तरफ दूध भी गर्म करने के लिए रख दीजिये. जब दाल भून कर सुर्ख लाल हो जाए तो इसको अग्नि से उतार लो. इसके बाद उबलते हुए दूध में, इस भूंजी हुयी दाल को डाल दीजिये, मंदी मंदी आग से इसको पकने दीजिये. जब यह खीर की तरह हो जाए इसमें मिश्री पीस कर मिला दीजिये. बस आपकी दवा तैयार है.
इसको सेवन की विधि.
अभी इसको रात को सोने से दो घंटा पहले या सुबह नाश्ते में चांदी या कांसे की थाली में गर्म गर्म खाएं.
इसके सेवन में सावधानी.
उड़द की दाल गरिष्ठ और भारी होती है, ये ज्यों ज्यों पचती जाए, खुराक बढाते जाओ. इस खीर को लगातार 40 दिन खाने से बलवीर्य बढ़ता है और शरीर भी पुष्ट होता है.
नोट:- छिलके के बिना भी उरद को घी में भून कर दूध में पकाने से भी खीर बन जाती है. उसमे भी वही गुण हैं जो ऊपर लिखें हैं.