मोंगरा
संस्कृत नाम – वार्थिक, मल्लिका
मोंगरे का पौधा छोटे कद का होता है | इस पर लंबे-लंबे हरे रंग के फल लगते हैं | जिन्हें मुंगरे की फलियां भी बोला जाता है | उनकी सब्जी बनाकर लोग खाते हैं |
फोड़े-फुंसियों तथा चर्म रोगों के लिए
मोंगरे के पतों को पीसकर उनकी लुगदी तैयार कर लें | उस लुगदी को देसी घी में छोंककर गर्म करके फोड़े-फुंसियों तथा चर्म रोग वाले भाग पर लगाएं | दिन में दो बार लगाना चाहिए | दो-तीन दिन में फोड़े फुट जाएगे | फुंसियां भी साफ होकर अन्य चर्म रोग ठीक हो जाएंगे |
मोंगरे के पते 10 ग्राम
गागल 2
इन दोनों को मिलाकर टिकिया बना 10 ग्राम देसी घी में भुन कर उसमें थोड़ा-सा-मोम मिलाकर मल्हम बना लें | इस मल्हम को फोड़ों-फुंसियों पर लगाने से सब प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं |