ढाक :- ढाक, केसुधार ककारिया पलास, पलागाछ
ढाक के गुण
ढाक की जड़ के रस से तांबा, पारा हरातल ये तीनों भस्म मिलते हैं | यदि भाग्य प्रबल हो तो सुवर्ण भी बन जाता है| उसे इस तरह से बनाया जा सकता है की पारा अथवा हरताल, किंवा तांबे का चुरा 30 ग्राम लेकर पहले, आक के दूध में तीन दिन तक घोटते रहें |
अंत में ढाक की जड़ के रस में तीन दिन तक घोटते रहें फिर अलग-अलग एकसाथ तीनों (पारा, हरताल, तांबा चुरा) भी घोटें |
इसके पश्चात् ढाक की मोटी लकड़ी की खोखल करके उसमें तीनों की गोली बनाकर डाल दें | ऊपर से ढाक की छाल का रस भर दें और कपड़ मिट्टी कर कंडों की आंच में पकाने से भस्म तैयार हो |
इस भस्म से कुष्ठ रोगी ठीक हो जाते हैं | इस कार्य के लिए किसी अच्छे वैद्द् की सलाह लेना उचित रहेगा | पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं | ढाक का फल गुड़ के साथ खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं |
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