हरड़ को अनेक नामों से पुकारा जाता है, कियोंकि हर रोग को दूर कर देती है इसलिए इसे हरीतकी भी कहते हैं | अनेक गुणों पर इस पौधे की एक नजर देखें |
इस का कद मध्यम आकार का होता है गुणों से भरपूर यह प्राकृतिक रूप से जन्म लेता है | इसकी कोई फसल नहीं होती अपने-आप ही पैदा होकर खूब फलता-फूलता है | यह अधिकार हिमालय पर्वत पर होता है | इसलिए इसे हैमवती नाम से भी पुकारा जाता है | अधिक गुणवान होने के कारण इसे अमृता भी कहते हैं | कल्याणकारी होने के कारण शिवा भी कहा जाता है | इसकी लंबाई 1 से 2 इंच लंबी होती है | हरड जितनी भी नई होगी उतनी ही अधिक गुणकारी होगी |
- भुनी हुई हरड सेवन करने से त्रिदोष रोग से मुक्ति मिलती है |
- गुड़ के साथ हरड का सेवन किया जाए तो शरीर के सब रोगों को ठीक करती है |
- लवण के साथ हरड सेवन करने से जख्म शीघ्र भरते हैं |
- वसंतु ऋतू में शहद के साथ, ग्रीष्म ऋतू में गुड़ के साथ,
- वर्षा ऋतू में मिश्री के साथ हेमन्त ऋतू में सोंठ के साथ,
- शिशिर ऋतू में पेपर के साथ
- हरड सेवन करने में अनेक रोगों के लाभ होते है पेट रोगियों के लिए तो इसका सेवन बहुत ही लाभकारी माना गया है |
- हरड-बहेड़ा-आमला का त्रिफला चूर्ण सर्वरोगनाशक होता है | हरड स्वास, खांसी, बवासीर, शांत कोढ़, शूल, पथरी, युकृत, सुजाक तथा मूत्र रोगों को ठीक करती है |