Medicinal use of Srivas Gandhaviroja in Gonorrhea disease

श्रीवास (गंधाविरोजा)

मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी जड़ी प्राकृतिक रूप से ही जन्म लेती है । भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में यह अधिक मात्रा में मिलती है ।

गुण तथा लाभ

स्वाद कड़वा, तासीर गर्म

वाट, पित्त, खांसी जैसे रोग को दूर करने में पूरी शक्ति रखती है ।
हर प्रकार के नेत्र रोग तथा खारिश-खुजली को दूर करने में समर्थ है ।

सुजाक रोग

सुजाक रोग अति कष्टदायक होता है । आम डॉक्टरों ने इसे गुप्त रोगों की सूचि में रखकर लोगों से खूब धन बटोरा है । श्रीवास द्वारा सुजाक रोग का उपचार बहुत सरल है ।

गंधाविरोजा का सत

विश्री

दोनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस कर चूर्ण बना लें । इसे दूध की लस्सी के साथ सेवन करेंगे तो सुजाक रोग कुछ दिनों में ठीक हो जाएगा ।

चर्म रोगों के लिए

गंधाविरोजा 90 ग्राम लेकर उसे हलकी आंच पर पानी में मिला लें । उसमें 1 ग्राम हल्दी का चूर्ण डालकर अच्छी तरह मिला लें फिर उसकी मल्हम को चर्म रोग पर पट्टी बाँध कर लेप करें तो रोग ठीक हो जाएगा ।

Srivas (Gandhaviroja)

To human health is very beneficial herbs naturally born. It gives more volume in the mountainous regions of India.

Properties and Advantages

Taste bitter, warm Impression

Watts, bile, has full power to cure cough.
All forms of eye disease and is able to remove mites and scabies.

Gonorrhea disease

Gonorrhea very painful disease. Doctors generally keeping it secret from the people in the list of diseases is gathered plenty money. By Srivas treating disease gonorrhea is very simple.

Gandhaviroja extracts

Visri
 
Make the powder by grinding equal quantity of both. The gonorrhea disease when consumed with milk lassi will be fine in a few days.

For skin diseases

Gandhaviroja 90 grams of water and mix on low light. The 1 gm turmeric powder and mix well to coat, then his Mlhm bandage on the skin disease if the disease will be cured.

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