पिटवन
यह बूटी अधिकतर बंगाल, असम, त्रिपुरा, सिकिक्म, भूटान में अपने-आप यानि प्राकृतिक रूप से पैदा होती है । इसके पत्ते गोल होते हैं । उनका रंग नीला तथा सफेद होता है । काम में इसकी केवल जड़ ही आती है ।
गुण तथा लाभ
तासीर में गर्म, मधुर, सारक, कटुतिकत तथा शमन है । इससे त्रिदोष रोग का उपचार किया जाता है ।
मर्दाना कमजोरी में भी इसका सेवन काफी लाभदायक सिद्ध होता है यह वीर्य वर्धक है ।
बुखार, दमा, खांसी, खून को साफ करने तथा अतिसार जैसे सब रोगों में उपयोगी मानी जाती है ।
Pitvan
This herb mostly Bengal, Assam, Tripura, Sikikm, Bhutan, automatically, ie naturally arises. Its leaves are rounded. Their colors are blue and white. Only root may come in handy.
Properties and Advantages
Impression warm, cozy, ecchymosis, Ktutikt and mitigation. It is used to treat the disease Tridosha.
It would also benefit the intake manly weakness is a plethora of semen.
Fever, asthma, cough, and diarrhea, such as cleaning up the blood is considered useful in all diseases.