कलिहारी
संस्कृत नाम – कलिहारी
इसके पत्ते अधिक गुणकारी होते हैं। इसके पत्तों का रस निकालकर रतवाय रोग में लगाने से रोग शांत हो जाता है ।
पहचान के लिए चित्र देखें ।
कलिहार की जड़ को पीसकर मधु और काला नमक (पिसा हुआ), इन तीनों का लेप तैयार करके योनि पर लगाने से रुका हुआ मासिक धर्म फिर से प्रारंभ हो जाता है ।
कलिहारी की जड़ सिरसा के बीज कूट कर मदार का दूध, पीपर, सेंधा नमक को गो मूत्र में पीस कर बवासीर के मस्सों पर दस दिन तक लेप लगाने से रोग ठीक हो जाता है ।
भगन्दर रोग का उपचार
कलिहारी की जड़, काले धतूरे की जड़ पानी में पीसकर भगंदर के फोड़े पर लेप करने से भगंदर रोग दस दिन में ठीक हो जाता है ।
कलिहारी की जड़ पानी में पीसकर नस्य (नसवार) देने से सांप का जहर
समाप्त हो जाता है ।
कलिहारी की जड़ धतूरे के पंचाड –अफीम, असगंध तमाख जायफल और सोंठ सबको बराबर मात्रा में लेकर, पानी में पीसकर सबसे चारगुना तिल का तेल और तेल से चार गुना पानी डालकर हलकी आंच पर पकाएं । जब पानी पूरी तरह से जल जाये तो उसे नीचे उतारकर छान लें, अब उस तेल को जोड़ों के दर्द पर लगाकर घुप में बैठकर मालिश करने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
सफेद कलिहारी की जड़ से दोगुना शंख लेकर दोनों का चूर्ण बनाएं फिर नींबू के रस में मिलाकर गजपुट में फूंक दें। इसकी भसम को शूल पर लगाने से हर प्रकार का दर्द ठीक हो जाता है।