Medicine uses of “सिंघाडा” (Water Chestnut) in Ayurveda

सिंघाडा

न धरती, न आकाश, सिंघाड़ा इन दोनों में से कहीं पैदा नहीं होता, इसका जन्म केवल पानी के अंदर होता है | हरे रंग का सिंघाडा एक ऐसे जल का फल है जिसे कच्चा-पक्का दोनों ही रूपों में खाया जाता है | हरे रंग के सख्त छिलके के अंदर नर्म तथा सफ़ेद रंग का गूदेदार फल निकलता है, जिसके द्वारा हम इन रोगों का उपचार कर सकते हैं :singhara

महीना कमजोरी

ऐसे रोगियों को सिंघाडे को सुखाकर उन्हें बारीक कूट-पीसकर एक बड़ा चम्मच गाय के दूध के साथ सेवन करने से शारीर में नई शक्ति आएगी, इसे कम से कम 40 दिन तक सेवन करें |

दाद, खुजली तथा अन्य चर्म रोग 

नींबू का रस सिंघाडे के साथ मिलाकर सिंघाडे को घिसकर एक लेप सा तैयार करें, उस लेप को दाद, खुजली तथा अन्य चर्म रोग वाले स्थान पर लगाने से कुछ दिनों में ही रोग ठीक हो जाएगा | 

प्रदर रोग 

सूखे सिंघाडे का आटा लेकर उसका हलवा बनाएं | प्रतिदिन दो बार सेवन करने से प्रदर रोग ठीक हो जाएगा |

Chestnut

Neither earth nor sky, water chestnut does not inspire much of the two, it is the only water birth | Chestnut green water that is the fruit of a firm as both the raw-eaten | Green and white hard shell inside the soft fleshy fruit turns out, by which we can treat these diseases: singhara

Month weakness

Such patients Chestnut code-dried powder, a tablespoon of them finely with cow’s milk intake in the new body will power, it should take less than 40 days.

Ringworm, scabies and other skin diseases

Lemon juice mixed with Chestnut Grind to a paste, which prepare the plaster herpes, scabies and other skin diseases in the area a few days, the disease will be cured by applying.

Leucorrhoea

Make the pudding with dried flour Chestnut | Taking twice a day will cure leucorrhoea.

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