अत्यधिक उभरी शिराएं (Varicose Veins)
Varicose Veins – Symptoms, Reasons, Causes
परिचय:-
इस रोग में मनुष्य के शरीर में हृदय की तरफ रक्त ले जाने वाली शिरायें कुछ मोटी होकर शरीर के किसी भाग में दिखाई देती है लेकिन अधिकतर ये टांगों में दिखाई देती हैं। इस रोग में रोगी की टांगों में दर्द तथा सूजन हो जाती है और रोगी व्यक्ति को थकान महसूस होने लगती है।
अत्यधिक उभरी शिराएं होने का कारण:-
प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार हृदय की तरफ रक्त ले जाने वाली शिराओं में वाल्व लगे होते हैं जिसके कारण ही रक्त का प्रवाह एक दिशा की ओर होता है। कई प्रकार की बीमरियों (कब्ज, खानपान सम्बन्धी विकृतियां, गर्भावस्था से सम्बन्धित रोग) के कारण शिराओं के रक्त संचार में बाधा उत्पन्न हो जाती है जिसकी वजह से ये शिरायें फैल जाती हैं और रक्त शिराओं में रुककर जमा होने लगता है और सूजन हो जाती हैं और अन्य प्रकार की परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं। व्यायाम की कमी, बहुत समय तक खड़ा रहना, अधिक तंग वस्त्र, अधिक मोटापा के कारण भी यह रोग हो जाता है। यह रोग पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक होता है क्योंकि आजकल रसोईघर में खड़े होकर ही भोजन बनाया जाता है।
अत्यधिक उभरी शिराएं होने का लक्षण:-
प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति के टांगों में दर्द होता है तथा रोगी व्यक्ति को थकान और भारीपन महसूस होता है। रोगी के टखने सूज जाते हैं। रात के समय टांगों में ऐंठन होने लगती है तथा त्वचा का रंग बदल जाता है और उसके निचले अंगों में त्वचा के रोग भी हो जाते हैं।
अत्यधिक उभरी शिराएं से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
- इस रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को नारियल का पानी, जौ का पानी, हरे धनिये का पानी, खीरे का पानी, गाजर का रस, पत्तागोभी, पालक का रस आदि के रस को पी कर उपवास रखना चाहिए तथा हरी सब्जियों का सूप भी पीना चाहिए। इसके बाद कुछ दिनों तक रोगी व्यक्ति को फल, सलाद तथा अंकुरित दालों को भोजन के रूप में सेवन करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को वे चीजें अधिक खानी चाहिए जिनमें विटामिन सी तथा ई की मात्रा अधिक हो। उसे नमक, मिर्च मसाला, तली-भुनी मिठाइयां तथा मैदा नहीं खाना चाहिए।
- इस रोग से पीड़ित रोगी को गरम पानी का एनिमा भी लेना चाहिए तथा इसके बाद रोगी व्यक्ति को कटिस्नान करना चाहिए और फिर पैरों पर मिट्टी का लेप करना चाहिए। यदि रोगी व्यक्ति का वजन कम हो जाता है तो मिट्टी का लेप कम ही करें। जब रोगी व्यक्ति को ऐंठन तथा दर्द अधिक तेज हो रहो हो तो गर्म तथा इसके बाद ठण्डे पानी से स्नान करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को गहरे पानी में खड़ा करने से उसे बहुत लाभ मिलता है।
- इस रोग से पीड़ित रोगी को सोते समय पैरों को ऊपर उठाकर सोना चाहिए, इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।