फील पांव (हाथी पांव) (Elephantiasis)
Elephantiasis- Symptoms, Reasons, Causes
परिचय:-
इस रोग में रोगी व्यक्ति के पैरों में इतनी सूजन आ जाती है कि उसका पैर हाथी के पैर के समान मोटा हो जाता है इसलिए इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं। यह रोग मनुष्यों के अण्डकोष, हाथ-पैरों पर अधिक होता है।
फील पांव होने का कारण–
इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण फाईलेरिया बेन क्राफ्ट नामक कीटाणु है। जब यह कीटाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है तो यह रोग व्यक्ति को हो जाता है।
फील पांव होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
इस रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को 2 दिनों तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए और 8 दिनों तक फलों का सेवन करना चाहिए तथा इसके साथ-साथ प्रतिदिन रोग व्यक्ति को गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो सके। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को अपने शरीर के रोगग्रस्त भाग पर आधे घंटे तक गीली मिट्टी की गर्म पट्टी लगानी चाहिए और सूजन आए हुए पैर को आधे घण्टे तक ऊपर उठाकर रखना चाहिए। इसके बाद पैरों को गर्म पानी से धोना चाहिए। यह क्रिया दिन में 2 बार करनी चाहिए और रात को सोते समय रोगी को अपनी कमर पर मिट्टी की गीली पट्टी बांधनी चाहिए तथा दिन में 2 बार कटिस्नान करना चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।
हरे रंग और पीले रंग की बोतलों के सूर्यतप्त जल को बराबर मात्रा में मिलाकर 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 6 बार पीने से हाथीपांव रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
जानकारी–
इस प्रकार से हाथीपांव रोग का प्रतिदिन उपचार करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।