कारबन्कल फोड़ा (Carbuncle)
Carbuncle- Symptoms, Reasons, Causes
परिचय:-
कारबन्कल एक प्रकार का ऐसा फोड़ा होता है जिसमें कई मुंह निकलते हैं। यह फोड़ा गर्दन, पीठ, होंठ, मस्तक तथा जांघ पर होता है। यह साधारण फोड़े से लेकर कष्ठदायक फोड़े के रूप में भी हो सकता है। जब यह फोड़ा चेहरे या मस्तक पर होता है तो रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक परेशान करता है। यह फोड़ा 40-42 वर्ष की आयु के व्यक्तियों को अधिक होता है। यह रोग उन व्यक्तियों को अधिक होता है जिन्हें डायबिटीज रोग होता है।
कारबन्कल फोड़े की पहचान–
जब शरीर पर कारबन्कल फोड़ा होने वाला होता है तब रोगी के शरीर के रोगग्रस्त भाग पर सबसे पहले गांठ-सी पड़ जाती है तथा इसके बाद उस स्थान पर काली छाई पड़ जाती है और यह धीरे-धीरे सूजन का रूप ले लेती है तथा इसमें दर्द और जलन भी होने लगती है। 7-8 दिनों में ही इस फोड़े में कई मुंह दिखाई देने लगते हैं, जिसमें से पानी जैसा तरल पदार्थ बाहर निकलने लगता है। रोगी व्यक्ति को अधिक कमजोरी महसूस होने लगती है और कभी-कभी तो उसे तेज बुखार भी हो जाता है।
कारबन्कल फोड़ा होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
कारबन्कल फोड़े को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को सबसे पहले 2-3 दिनों तक नींबू के रस को पानी में मिलाकर, पीकर उपवास रखना चाहिए तथा रोगी व्यक्ति को फलों का रस पीना चाहिए। इस उपचार के साथ-साथ रोगी को गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया भी करनी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो सके। इसके बाद रोगी व्यक्ति को सादा भोजन करना चाहिए और जब तक रोग ठीक न हो जाए तब तक सप्ताह में 1 दिन फोड़े पर ठंडी पट्टी लगानी चाहिए और वाष्पस्नान करना चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह फोड़ा कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
कारबन्कल फोड़ा से पीड़ित रोगी को चीनी, नमक तथा उत्तेजक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इनके उपयोग से कारबन्कल फोड़े का प्रकोप और भी ज्यादा हो जाता है।
कारबन्कल फोड़े से पीड़ित रोगी को हरे रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल कम से कम 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 8 बार पीना चाहिए और प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करते रहना चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है