जिगर विद्रधि (जिगर का फोड़ा) (Liver Abscess)
Liver Abscess- Symptoms, Reasons, Causes
परिचय:-
जिगर विद्रधि (जिगर का फोड़ा) के रोग में पहले रोगी के जिगर में सिकुड़न पैदा होती है और फिर उसमें फोड़ा निकल आता है। जिगर में उत्पन्न होने वाला यह फोड़ा जब पक जाता है तो रोग सांघातिक हो जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी का ऑपरेशन करने पर अधिकतर रोगियों की मृत्यु हो जाती है। इस रोग के उत्पन्न होने का मुख्य कारण अधिक मात्रा में नशीले पदार्थ जैसे- शराब, सिगरेट, तम्बाकू आदि का सेवन करना है। नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले व्यक्ति अधिकतर शराब के साथ भारी भोजन करना पसन्द करते हैं जैसे- शराब के साथ मांस, पकौडे़ तथा अधिक तली व चटपटी चीजें। इस तरह शराब के साथ प्रयोग किये जाने वाले खाद्य-पदार्थ शरीर के लिए विषकारक हो जाते हैं। इससे व्यक्ति को कब्ज हो जाता है, जिसमें सड़न पैदा होकर पेट में गैस बनने लगती है। यह गैस ऊपर उठकर जिगर में पहुंच जाती है और उसमें विकार पैदा करती है। इस दूषित गैस के कारण जिगर सिकुड़ जाता है और फिर धीरे-धीरे उसमें घाव बनने लगता है। जिगर में घाव होने से इससे निकलने वाला दूषित द्रव खून में मिलकर खून को गन्दा कर देता है, जिससे शरीर कमजोर और रोगग्रस्त हो जाता है।
जल चिकित्सा द्वारा रोग का उपचार–
जिगर के फोड़े के रोग में रोगी को कब्ज बनने वाले पदार्थ, गरिष्ठ (भारी) भोजन, अधिक तेल व जलन पैदा करने वाले भोजन नहीं करना चाहिए। इस रोग में रोगी को शराब, सिगरेट आदि पदार्थों का त्याग कर देना चाहिए। इसके बाद रोगी को पहले कब्ज दूर करने वाला उपचार करना चाहिए। फिर विभिन्न क्रिया द्वारा रोग का उपचार करना चाहिए-
इस रोग से पीड़ित रोगी को हिप बाथ, सिज बाथ और होल बाथ प्रतिदिन करना चाहिए। इस रोग से पीड़ित रोगी को बीच-बीच में शरीर में मौजूद दूषित तत्वों को निकालने के लिए कभी-कभी वाष्पस्नान भी करना चाहिए। इसके अतिरिक्त जिगर रोग में रोगी को जिगर के ठीक ऊपर गीली मिट्टी का पुल्टिस या शीतल पट्टी का लपेट करने से रोग में लाभ होता है।
परहेज–
इस रोग में रोगी को आवश्यकता के अनुसार उपवास अथवा अर्द्ध उपवास करना चाहिए। इस रोग के ठीक होने पर हल्का भोजन करना चाहिए।