डाइवर्टिकुलाइटिस (Diverticulitis)
Diverticulitis- Symptoms, Reasons, Causes
परिचय:-
बड़ी आंत में थैलियों जैसी कुछ संरचनाए होती हैं जो डाइवर्टिकुल कहलाती है। जब बिना पचा हुआ अशुद्ध पदार्थ इन थैलियों में रुक जाता है तो इस श्लेष्मकला अस्तर में सूजन आ जाती है।
डाइवर्टिकुलाइटिस रोग का लक्षण:-
डाइवर्टिकुलाइटिस रोग से पीड़ित रोगी के पेट के निचले भाग में तेज दर्द तथा मरोड़ होने लगता है तथा रोगी व्यक्ति को कभी दस्त तथा कभी कब्ज की शिकायत रहने लगती है। इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति को पेरिटोनियम में जलन होने लगती है तथा कभी-कभी बुखार भी हो जाता है। इस रोग के होने के कारण रोगी व्यक्ति को फोड़े तथा चिल्स-पेरिटोनाइटिस रोग भी हो जाते हैं।
डाइवर्टिकुलाइटिस को प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
डाइवर्टिकुलाइटिस रोग से पीड़ित रोगी को उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपनी कब्ज की शिकायत को दूर करना चाहिए। फिर इसके बाद रोगी को इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को कब्ज को दूर करने के लिए अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए तथा प्रतिदिन एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि पेट साफ हो सके और कब्ज दूर हो सके।
डाइवर्टिकुलाइटिस रोग से पीड़ित रोगी को वह भोजन करना चाहिए जो जल्दी से पच सकता हो।
रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन अपने पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा ठंडी लपेट का उपयोग करना चाहिए।
डाइवर्टिकुलाइटिस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन ठंडे पानी से कटिस्नान करना चाहिए।
डाइवर्टिकुलाइटिस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन रात को सोते समय अपने पेट पर ठंडी लपेट करनी चाहिए।
डाइवर्टिकुलाइटिस रोग से पीड़ित रोगी को सप्ताह में कम से कम 2-3 बार गैस्ट्रो-हैपेटिक लपेट का प्रयोग करना चाहिए।
डाइवर्टिकुलाइटिस रोग का उपचार शुरू करते समय सबसे पहले रोगी को एनिमा क्रिया करनी चाहिए तथा इसके बाद हल्का भोजन करना चाहिए और सुबह और शाम के समय में व्यायाम करना चाहिए।
डाइवर्टिकुलाइटिस रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को सबसे पहले 2-3 दिन तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए तथा इसके बाद कुछ दिनों तक भोजन में फल तथा कच्ची सब्जियां खानी चाहिए। फिर धीरे-धीरे भोजन में ऐसे पदार्थ लेने चाहिए जिसमें रेशे न हो।
डाइवर्टिकुलाइटिस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह तथा शाम को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
डाइवर्टिकुलाइटिस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में मलत्याग करने की आदत डालनी चाहिए।
डाइवर्टिकुलाइटिस रोग से पीड़ित रोगी को उपचार कराते समय अपने मानसिक तनाव को दूर कर देना चाहिए।