कमर दर्द (Backache)
Backache- Symptoms, Reasons, Causes
परिचय:-
कमर दर्द होने के कारण रोगी को बहुत अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस रोग के कारण रोगी झुकने वाला कोई भी काम नहीं कर पाता है।
कमर दर्द से पीड़ित रोगी के लक्षण–
जब किसी व्यक्ति की कमर के भाग पर दर्द या अकड़न होता है तो उसे कमर दर्द होने लगता है।
कमर के दर्द से पीड़ित रोगी जब अपने शरीर को मोड़ने की क्रिया करता है तो उसकी कमर में बहुत तेज दर्द होता है।
जब किसी व्यक्ति को कोई रोग हो जाता है तो उसे और भी तेज कमर में दर्द होता है जैसे कुछ रोगों की अवस्थाओं में खांसने तथा छींकने परं कमर में जोर का झटका लगता है जिसके कारण कमर में दर्द होने लगता है।
कमर दर्द से पीड़ित रोगी को लगातार कमर में धीमा-धीमा दर्द होता रहता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी जब आगे की ओर झुकता है या कुर्सी पर झुककर बैठता है या किसी भारी बोझ को उठाता है उस समय उसकी कमर में और भी तेज दर्द होता है।
कमर दर्द होने का कारण–
जब किसी व्यक्ति को किसी प्रकार से कमर पर चोट लग जाती है तो इस कारण से उसकी कमर में दर्द होने लगता है।
कमर पर किसी प्रकार से दबाव पड़ने के कारण भी कमर में दर्द होने लगता है।
ज्यादा नर्म तथा गद्देदार बिस्तर पर सोने के कारण भी कमर में दर्द हो सकता है।
कमर की कशेरूका के जोड़ पर जलन होने के कारण भी कमर में दर्द होने लगता है।
शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण व्यक्तियों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिसके कारण रीढ़ की हड्डी में कोई रोग हो जाता है तथा कमर की हडि्डयां भी कमजोर हो जाती हैं जिसके कारण कमर में दर्द होने लगता है।
कमर में दर्द कई प्रकार के अन्य रोग होने के कारण भी हो सकते हैं जैसे- संधिवात या अन्य रोग।
रीढ़ की हड्डी पर किसी तरह का आपत्तिजनक परिर्वतन होने के कारण कमर में दर्द होने लगता है।
जब मनुष्य के शरीर में जोड़ों को ढकने वाली उपास्थि नष्ट हो जाती है तो शरीर की हड्डी को जरा सा इधर-उधर घुमाने पर कमर में दर्द होने लगता है।
अधिक देर तक बिस्तर पर लेटे रहने तथा आलस्य के कारण भी कमर में दर्द हो सकता है।
सही स्थिति में न उठने तथा बैठने के कारण भी कमर में दर्द होने लगता है।
ऊंची एड़ी के चप्पल या जूते पहनने के कारण भी कमर में दर्द हो सकता है।
स्त्रियों में कमर दर्द होने का सबसे बड़ा कारण उनकी माहवारी में कोई गड़बड़ी होना है।
कमर में दर्द होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार–
कमर में दर्द से पीड़ित रोगी को अधिक से अधिक फलों तथा अंकुरित चीजों का सेवन करना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को कई प्रकार के फलों का रस प्रतिदिन पीना चाहिए जिसके फलस्वरूप रीढ़ की हडि्डयां तथा कमर की हडि्डयां मजबूत हो जाती हैं और फलस्वरुप कमर का दर्द ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को कुछ समय के लिए अपनी कमर पर बर्फ रखनी चाहिए जिससे रोगी व्यक्ति को तुरंत ही आराम मिलता है।
रोगी व्यक्ति को अपनी कमर पर ठंडे पानी से गीली कपड़े को बांधना चाहिए तथा इसे कुछ देर बाद बदलते रहना चाहिए। इसके फल स्वरूप कमर में दर्द होना तुरंत ही बंद हो जाता है।
कमर के जिस भाग में दर्द तेज हो रहा हो उस भाग को ऊपर की ओर उठाकर रखना चाहिए ताकि वहां का जमा हुआ रक्त दूसरे भाग में जा सके जिसके फलस्वरूप कमर का दर्द होना ठीक हो जाता है।
कमर दर्द से पीड़ित रोगी को अपनी कमर पर हल्की-हल्की मालिश करनी चाहिए तथा इसके बाद कमर पर गर्म या फिर ठंडी सिंकाई करनी चाहिए।
रोगी व्यक्ति को नंगे बदन सूर्य की किरणों के सामने खड़ा होना चाहिए तथा यह ध्यान रखना चाहिए कि सूर्य की किरणें कमर पर सीधी पड़ें। सूर्य की किरणों में पराबैंगनी किरणें होती हैं जिससे जमा हुआ खून शरीर में दौड़ने लगता है और दर्द ठीक हो जाता है। सूर्य की किरणों से सिंकाई करने के बाद कमर पर मिट्टी की गीली पट्टी तथा ठंडे लपेट का इस्तेमाल करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को दर्द कम करने के लिए न्यूट्रल रीढ़ स्नान करना चाहिए।
कमर की जकड़न तथा दर्द को कम करने के लिए न्यूट्रल जेट मालिश तथा हर्लपूल स्नान करना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को कोई भी ऐसा व्यायाम नहीं करना चाहिए जिससे कमर में दर्द हो। रोगी व्यक्ति को भारी वजन नहीं उठाना चाहिए तथा कमर को झटके से बचाना चाहिए।
रोगी व्यक्ति श्वसन क्रिया का नियमित रूप से अभ्यास करें ताकि मेरुरज्जु की क्रियाशीलता बढ़ जाए और तंत्रिकाओं के आखिरी सिरों पर पड़ने वाले दबाव के कारण दर्द में कमी हो जाए।
कमर दर्द से पीड़ित रोगी को कभी भी तली-भुनी, चिकनाई वाली चीजें, चीनी, दही, मिर्च-मसालें, चाय तथा कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को अधिक से अधिक कैल्शियम, विटामिन `सी` तथा विटामिन `डी` वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
दूध में तिल डालकर प्रतिदिन पीने से कमर दर्द से पीड़ित रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
कमर दर्द से पीड़ित रोगी को अपना इलाज कराने के लिए सबसे पहले कमर पर गर्म सेंक कराना चाहिए तथा इसके बाद रीढ़ स्नान तथा फिर कमर के भाग पर तेल से मालिश करनी चाहिए और फिर बिस्तर पर लेटकर आराम करना चाहिए और सोते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि शरीर की रीढ़ की हड्डी सीधी तथा लचीली रहें।
कमर के दर्द को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन भी हैं जिनको करने से यह रोग ठीक हो जाता हैं ये आसन इस प्रकार है- भुजंगासन, धनुरासन, शलभासन, शरीर को पीछे की ओर झुकाने वाले आसन तथा शलभासन आदि। इस रोग से पीड़ित रोगी को एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि आगे झुकने वाला कोई भी व्यायाम नहीं करना चाहिए।