बच्चे को दूध की उल्टी होना
Milk Vomiting
परिचय:-
मां के दूध में यदि किसी प्रकार से पौष्टिकता की कमी होती है और बच्चा उस दूध को पीता है तो बच्चे को उल्टी होने लगती है। इसलिए इस रोग का इलाज करने के लिए सबसे पहले मां को अपना इलाज करना चाहिए और फिर बच्चे की उल्टी का इलाज करना चाहिए। बच्चे का पेट भर जाने पर यदि फिर से दूध पिलाया जाए तो भी उसे उल्टी होने लगती है क्योंकि उस समय उसका पेट भरा रहता है। इसलिए बच्चे को दूध उतना ही पिलाना चाहिए जितनी बच्चे की भूख हो।
बच्चे की उल्टी आने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार–
बच्चे को यदि उल्टी होने लगे तो आंवला और मुनक्का को पानी में पीसकर फिर उस पानी को छान लेना चाहिए। इसके बाद इस पानी को शहद में मिलाकर आधा से एक चम्मच दिन में 3-4 बार बच्चे को पिलाना चाहिए। इससे बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।
धनिया, सौंफ, जीरा, इलायची तथा पुदीना सभी को सामान मात्रा में लेकर ठंडे पानी में भिगो देना चाहिए। इसके बाद जब ये सारी चीजें फूल जाएं तो इन्हें पानी में ही मसल देना चाहिए तथा इसके बाद इस पानी को छान लेना चाहिए। इस पानी को 2-2 मिलीलीटर की मात्रा के अनुसार चम्मच से दिन में 3-4 बार बच्चे को पिलाना चाहिए। इससे बच्चे को उल्टी होना बंद हो जाती है।
इलायची के बीजों को आग पर भूनकर चूर्ण बनाना चाहिए। इसके बाद इस चूर्ण को 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर बच्चे को दिन में 3 बार चटाने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।
5 से 10 मिलीलीटर नींबू के रस में थोड़ा सा पानी तथा नमक मिलाकर बच्चे को दिन में 2-3 बार पिलाने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।
नींबू का रस और अनार का रस मिलाकर बच्चे को पिलाने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है। इस मिश्रण को शहद के साथ बच्चे को पिलाने से भी बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।
बच्चे को 2-3 चम्मच चावल का मांड दिन में 3-4 बार पिलाने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।
बच्चे को उल्टी आने से रोकने के लिए मां को चाहिए कि बच्चे को उतना ही दूध पिलाए जितनी बच्चे को भूख हो।
बच्चे को भूख से अधिक दूध कभी भी नहीं पिलाना चाहिए। इस प्रकार से बच्चे का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।