विकासशील समाज और स्वास्थ्य को स्वस्थ रखना सबसे महत्व पूर्ण है।

विकासशील समाज और स्वास्थ्य

development societyतंदरुस्त चुस्त व फुर्तीला रहने के लिए नियमित व्यायामशाला में जाकर पसीना बहाना जरूरी नही है | जरूरी सिर्फ इतना है कि इतना श्रम शरीर से किया जाए कि पूरा शरीर हरकत में आ जाए | पाचन शक्ति बढ़ जाए ओर अतरिक्त कैलोरी जमा न हो जाए | नवीनतम चिक्त्सिव अध्ययन ने तो यह साबित क्र दिया है की हल्की सि शारीरिक क्रिया भी कोलस्ट्रोल उच्च रक्तचाप तथा आहार के दुस्प्रभाव को कम करने में प्रभावशाली होती है |

नये विश्वास व दृष्टिकोण को लेकर यदि चला जाए तो इससे एक पन्थ दो काज वाली कहावत चरितार्थ होती है | घरेलू काम भी पूर्ण व्यवस्थित ढंग से होते चलेंगे, नौकरों पर निर्भरता घटेगी और शारीरिक श्रम होने से स्वास्थ्य भी बढ़ेगा | इससे लाभ उन्हें बखूबी मिल पाएंगे जो व्यायाम के लिए अलग से समय नही निकाल पाते | ऐसी स्त्रियाँ जो घरेलू काम काज की व्यवस्तता व छोटे बच्चों के कारण अतरिक्त समय व्यायाम को नही दे पाती वे घर व बच्चों का काम स्वयं करके इस कमी को तभी पूरा क्र सकती है, नौकरों को दिया जाने वाला पैसा बचा सकती है व खुद किये काम का संतोष महसूस क्र सकती है |

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पिछले माह बहु की जाँच के सिलसिले में 10 दिन तक घर व अस्पताल की दौड़ भाग से जब मैं फारिग हुई व एक दिन यूँ ही अपना वजन लिया तो पता चला की 3 k. वजन घट चूका था | सोचा की खाने पिने में तो कोई फेर बदल किया नहीं, बल्कि आम दिनों से खिन जादा ही खाया पिया है | फिर से चमत्कार कैसे संभव हुआ ? जब ध्यान से इन दिनों में अपनी दिनचर्या पर गौर किया तो पता चला की अतरिक्त शारीरिक श्रम व अति व्यवस्तता का कमल है यह, जिसने बिना किसी तनाव योजना व डाइटिंग के एक पखवाड़े से भी कम वक्त में पूरा 2 किलो ग्राम वजन घटा दिया |

वास्तव में हमें जरूरत है शारीरिक क्रियाओं के महत्व को समझने की | व्यायाम इन्हीं शारीरिक क्रियाओं का विकल्प है | जब ज्यादा डेस्कवर्क करना पड़ता हो, मोटर गाड़ी की सुविधा हो, बिजली से चलने वाले तमाम उपकरण हो तब केवल ऊँगली से बटन मात्र दबाना होता है | ऐसे में शरीर हरकत में रहे, पाचन ठीक बना रहे, यह जरूरी हो जाता है | तमाम घरेलू काम यदि खुद ही किये जाते हों, बाज़ार हट के काम भी ज्यादातर वाहन से नहीं पैदल ही चलकर किये जाते हों, तब नियमित शारीरक श्रम पाचन शक्ति को बढाता है | भोजन से प्राप्त अतरिक्त कैलोरी को भस्म करता है व वजन को नियंत्रित रख वजन को तंदरुस्त चुस्त व गठीला बनाए रखता है | वे नियमित शारीरक क्रिया कलाप शरीर पर चर्बी नहीं जमने देते | डॉक्टरों का तो यह भी मानना है की शरीरक की अतिरिक्त चर्बी अपने कुत्ते के साथ दौड़ने में, बस पकड़ने के लिए दौड़ लगाने में भी ठीक वैसे ही व्यय होती है जैसे की मैराथन दौड़ने में |

प्रति सप्ताह २००० कैलोरी तक व्यय करने वाला कोई भी व्यायाम हृदय रोग व उछ रक्तचाप से सुरक्षा प्रदान करता है | कैलोरी की यह मात्र दिन भर में साधारण क्रिया कलापों, सीढियाँ चढना उतरना, तमाम घरेलू उठक बैठक के काम जैसे झाड़ू देना, पोछा लगाना, बर्तन मांजना, सफाई करना आदि में आसानी से व्यय हो जाती है | रोजमर्रा की गतिशीलता को थोड़ा घूम घूम कर पढने या कोई गीत सुनने से संभावित तकलीफें दूर होती है | तनाव भागता है | इससे जहाँ मनोरंजन होता है, वहीं परिवार में परस्पर जुडाव की भावना भी बल पकडती है |

लिफ्ट का प्रयोग छोड़ देना, पैदल चलना व गाड़ी वाहन का मोह त्यागना अपने पुरे शरीर को चेतन रखना है | कभी पूरी रसोई का सफाई अभियान चलाना या बाथरूम रगड़ना भी अतिरिक्त कैलोरी सहज ही खपा देता है | साथ ही जब साफ सुथरी, करीने से जमी रसोई या चमकदार बाथरूम देखा जाता हिया तो मन में सहज ही स्फूर्ति जन्म लेती है |

श्रम करने से शरीर की तमाम मांसपेशियां लचीली व मजबूत बनती है | प्रोढ़ावस्था में होने वाले जोड़ों के दर्द, अस्थि सोथ आदि की तकलीफें दूर होती है | यदि खाने पर सावधानीपूर्वक ध्यान रखा जाये तो आधुनिक जीवन के तमाम रोग, जैसे उछ रक्तचाप, तनाव, ह्रदय, आंत व पेट का केंसर दूर हो सकता है | ऐसा भोजन लेना जरूरी है जिससे वसा की मात्रा ठीक हो |

संतुलित मात्र में भोजन करके और घर के व अपने काम स्वयं करके अतिरिक्त कैलोरी बखूबी खर्च होती है | घर की चारदीवारी के भीतर ही स्वस्थ रहने की तमाम संभावनाए छिपी है | एक छोटे से 2-3 कमरों के घर में झाड़ू पोछा, सफाई करने, कपड़े धोने व छत पर जाकर सुखाने पर संपूर्ण व्यायाम हो जाता है |

अपने शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए ऐसे काम करें जिनसे मांसपेशियां तथा जोड़ मजबूत होते है | आटा गूंथना, फर्श साफ करना, बागवानी करना, बाज़ार से सामान व सब्जी लाना, बच्चे को गोद में लेकर सैर कराना आदि ये तमाम क्रिया कलाप कंधों व भुजाओं को मजबूती देते है व जोड़ों को जंग लगने से बखूबी बचाते है |

ज्यादा से ज्यादा पैदल इसलिए व काम जैसे पानी लेकर पीना, जूठी थाली मांज डालना, टेलीफोन की घंटी खुद उठाकर सुनना, छोटे रास्ते की बजे लंगे रास्ते से जाना, सीढियां चढना आदि अच्छे व्यायाम है | हर एक सीधी चढने पर ½ कैलोरी खर्च हो जाती है | धीमी चाल से मरियल कदम रखकर चलने की बजाए यदि तन क्र चुस्ती से चला जाए व लंबे लंबे डग भरें जाएं तो कैलोरी जल्द व ज्यादा क्रच होती है | हर 15-१६ कदमों में लगभग एक कैलोरी बखूबी खर्च की जा सकती है |

वास्तविक स्वस्तय को पाने का यह उपाय सर्वोत्तम है, जिसे सर्दी, गर्मी, बरसात हर दिन बखूबी अपनाए रखा जा सकता है | साथ ही आधुनिक जीवन प्रणालियों के दोषों से मुक्ति पाकर कुश, तनाव रहित भी रहा जा सकता है | खूब खाओ, खूब काम करो’ जीवन का सिधांत है | यह मानसिक व शारीरक स्वास्थ्यताउम्र देता रहेगा |

विगत वर्षों के अनुसन्धान से पता चलता है कि घर, कार्यालय, बाज़ार, विद्यालय और होटल का वातावरण भी बीमार बना सकता है | घरों और भवनों के अंदर और बाहर पर्दुष्णकारी तत्व एक जैसे ही होते है, केवल उनकी मात्र में अंदर हो सकता है | कभी कभी हानिकारक प्रदुश्नकारी तत्वों की मात्र घर के वातावरण में ही अधिक हो जाती है | बिल्डिंग मटेरियल, वेंटिलेशन, वातानुकूलित संयत्र, खाना पकाने के उपकरण और रसायनों का प्रयोग घर में प्रदूष्ण को बढाता है | इसके सामन्य लक्ष्ण सिरदर्द, आलस्य, दम घुटना और गले का सुखना है |

बहुमंजली इमारतें जब एक साथ होती है , तब उनमें आने वाली धुप दूसरी इमारतों से रुक जाती है | दिन में ही अँधेरा माहों अस्वास्थ्यकारी होता है | इससे सीलन और नमी में वृद्धि के अतिरिक्त रोग फैलाने वाले जीवाणुओं और विषाणुओं को भी पनपने का अवसर मिलता है | एकदम बंद और दमघोटू माहोल में जब कोई बीमार पड़ता है | तब घर अन्य सदस्यों के बीमार पड़ने की संभावनाए बढ़ जाती है |

शहरों में आधी से अधिक आबादी झुग्गी झोपड़ियों व फुटपाथों पर बस्ती है | लगभग अमानवीय वातावरण में ऐसी बस्तियों का जमघट होता है | पास में बहता कोई नाला, एक एक कमरे में गुजर करते दस बारह व्यक्ति पीने का साफ पानी नहीं और न ही सफाई का समुचित प्रबंध | ऐसे माहोल में स्वास्थ्य की कल्पना भी नही की जा सकती |

प्रदूष्ण के इस युग में स्वास्थ्य को हरेक तरफ से खतरा है | तमाम औदौगिक विकास के बाद भी सबसे अधिक तादाद में लोग खेती से जुड़े हैं | पंजाब और हरियाणा के समृद्ध किसानों के अलावा अधिकतर किसान अभी भी परम्परागत खेती के तरीके अपनाते है | सर्दी गर्मी और बरसात में भी इनका कार्य नहीं रुकता | जेष्ट  की धूप में भी खेतो में मशक्कत करना इनकी मजबूरी है | पर प्रदूष्ण ने इस धूप को अब विषैला कर दिया है |.

वायुमंडल की उपरी परत में 3.5 हजार करोड़ टन ओजोन की एक पतली परत है | यह परत पृथ्वी पर सूर्य की किरणों के साथ प्राबंग्नी किरणों को आने से रोकती है | ये किरणें स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है और कैंसर भी फैलती है | नाइट्रोजन के ऑक्साइड, हाइड्रोशील आयन और क्लोरिन मूलक ओजोन की इस परत को नुकसान पहुंचाते है | इन रसायनों के लगातार बढ़ते प्रयोग ने सूर्य की धूप में पराबैंगनी किरणों को सम्मिलित क्र लिया है | सूर्य की धूप में देर तक बैठने से चमड़ी के रंग में परिवर्तन, कोशिकाओं का मृत होना, चमड़ी कमजोर पड़ना, जल्दी झ्र्रियाँ पड़ना और चरम केंसर होना आम बात है |

खाने पीने की परंपरा में बहुत अंतर आ गया है | दौडती भागती जिन्दगी और विज्ञापनों की दुनिया ने डिब्बा बंद, पौली पैक और फास्ट फुड का चलन बढाया है| डिब्बा बंद संस्कृति ने शरीर के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को हमसे दूर किया है | चोकलेट के साथ निकल धातु, कोल्ड ड्रिंक्स के साथ बी, वी, ओ. और मिठाइयों के साथ जहरीले रंग भी चटखारे लेकर खाए जाते है | जिनसे हम अस्वस्थ हो सकते है |

खान पान के साथ ही कीटनाशक रसायनों की समस्या भी जुडी है | कीटनाशक दवाएं जहरीले रसायनों का एक समूह है, जिनका उपयोग कीटनाशक जहरीले होते है तभी कीटों और खरपतवारो का खात्मा कर सीमित नही रह सकता | विश्व में एव्री इयर २२ हजार व्यक्ति कीटनाशक के जहरीले प्रभावों से मरते है, जिनसे एक तिहाई भारतीय होते है |

शाम को थक कर टीवी के सामने बैठना आम बात है | वैसे भी गृहणियों, बूढों और बच्चों के लिए लगभग सरे दिन कार्यक्रम दिखाए जाते है | कंप्यूटर का प्रचलन बढ़ता जा रहा है | और बच्चों के लिए जगह जगह कंप्यूटर गेम्स शुरू हो गए है | घरों और दफ्तरों में सुविधा के नाम पर बिजली से चलने वाले अनेक उपकरणों की सुविधाएँ बढती जा रही है | स्वास्थ्य वैज्ञानिकों का मानना है की इन सबसे निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकीर्ण के कारण मर जाते है | अमेरिका में लुकेमिया नामक रोग और कैंसर भी हो सकता है | शरीर की अनेक क्रियाओं में सहायक कैल्सियम का उत्पादन इनके प्रभाव से बंद सकता है |

सडकों पर दौड़ते वाहन एक तरफ दुर्घटनाओं को बढ़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ प्रदूष्ण भी लगातार बढ़ता जा रहा है | इनसे निकली सभी गैसें स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है | कुछ जहरीली भी होती है | किसी भी व्यवस्थ चोराहे पर थोड़ी देर खड़े होकर देखिये, आँखों में आंसू भर आएंगें, सिर दर्द शुरू हो जाएगा, गला सूखने लगेगा और बिना कारण आप दूसरों पर झल्लाने लगेंगे | वाहनों का शोर भी दिल की धडकन बढ़ाने के लिए पर्याप्त है | वाहनों के धुंए के अन्य प्रभाव, स्नायु दुर्बलता दृष्टी कमी , आँखों और गले में जलन, श्वास में परेशानी, यकृत, गुर्दे और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव तथा कैंसर है | इनसे प्रजनन भी असमान्य हो सकता है | शोर से मनुष्य बहरा तक हो जाता है |

हरेक व्यक्ति के शरीर में एक जैविक घड़ी होती है , जो शरीर की क्रियाओं को नियंत्रिक करने में म्हत्व्व्पूर्ण भूमिका निभाती है | इसी कारण ठीक समय पर नींद आती है , भूख लगी है और सुबह नींद खुल जाती है | जब भी सदाचार और सयंम त्यागकर हम जाने अनजाने शरीर की लय को तोड़ते है तो अस्वस्थ हो जाते है | ररत भर काम करने वाले मजदूरों पर लंबे समय तक प्रयोग किये जाने के बाद यह निष्कर्ष निकला गया  है की ऐसे व्यक्तियों में अल्सर दिल की असमान्य धडकल और उच्चा रक्तचाप की शिकायते सामान्य है | ऐसे व्यक्ति आमतौर पर सुस्त और आलसी होते हैं | इसे वैज्ञानिक भाषा में क्रोनिक फटिंग कहा जात है |

उद्योगों में कार्यरत व्यक्ति तो पुर्दूष्ण के कारण स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते ही है, दिन भर ऑफिस में काम करने वाले भी इनसे अछूते नही है | कुर्सी पर लगातार बैठना भी कई बिमारियों की जड है | टाइपराइटर पर बैठे व्यक्ति कुछ दिंनों बाद उच्चा सुनने लगते है |

स्पस्ट है की आधुनिक युग में स्वस्थ रहना बड़ी टेढ़ी खीर है | घर, बाहर , सडक, दफ्तर, कार्य स्थल, रहन सहन और खाना पीना तभी प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से स्वस्थ्य् पर बुरा प्रभाव डालते है |

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