कोयल
यह जड़ी खुले मैदानों और जंगलों में पाई जाती है । इसके पत्ते छोटे गुलाब की भांति होते हैं । इस पर फल के रूप में लंबी फलियां लगती हैं ।
लाभ तथा गुण
कोयल दो प्रकार की होती है –
1. सफेद कोयल
2. नीली कोयल
इन दोनों के गुण करीब-करीब तो मिलते हैं परंतु फिर भी उपयोग में अंतर उसी प्रकार से आता है, जैसे काला जीरा तथा सफेद जीरा ।
सफेद कोयल
इसकी तासीर ठंडी होती है । इससे नेत्र रोगों के उपचार में काफी सहायता मिलती हैं ।
विष का नाश करने तथा त्रिदोष, सिर के दर्द, दाह, कुष्ठ, शूल, आमयवात पित्त, शोध कृमि वरण तथा सांप के विष को नाश करने में सहयोगी बूटी मानी जाती है ।
नीली कोयल
सफेद कोयल की भांति ही इसकी पहचान है फर्क इतना है कि इसके फलों तथा फूलों का रंग नीला होता है । इस नीली कोयल के पत्तों, फलों तथा जड़ का उपयोग वैद्द लोग आम बूटियों की भांति ही करते हैं । पित्त, बुखार, दाद, भ्रम, पिशाचवाधा रक्तातिसार, मदात्यय, श्वास, क्षय, कास जैसे रोगों में इसके सेवन से लाभ होता है ।
Cuckoo (Aparajita)
This herb is found in open plains and forests. Its leaves are like little roses. The fruit looks as long beans.
Advantages and Properties
There are two types of coal –
1. White Cuckoo
2. Blue Cuckoo
If these two attributes are found almost the same, but the difference is still in use, such as black and white cumin seeds.
White Cuckoo
The impression is cool. It has a significant role in the treatment of eye diseases.
And the destroyer of venom Tridosha, head pain, inflammation, leprosy, colic, bile Amaywat, research associate in the worm to destroy the plant selection and snake venom is considered.
Blue cuckoo
White cuckoo, as it is recognized that the difference is the blue color of fruits and flowers. The blue cuckoo leaves, fruits and roots of herbs just like ordinary people do Vadd use. Bile, fever, herpes, confusion, diarrhea Pishacvadha, alcoholism, breathing, decay, development of diseases such as benefit from its intake.