Herbal Home remedies for Eye Diseases,” Remove Spectacle”,”Chashme se Mukti”Symptoms, Reasons, Causes -“Herbal Treatment”

चश्मे से मुक्ति (Avoid Spectacle) 

Remove Spectacle-Symptoms, Reasons, Causes

 

परिचय:-

आज के समय में लोगों की आंखों पर चश्मा लगना बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यदि किसी व्यक्ति को कम उम्र में ही चश्मा लग जाता है तो उसके चश्मे का नंबर कुछ महीनों में बढ़ता ही चला जाता है। चश्मे की वजह से आंखों का प्राकृतिक रूप से व्यायाम भी होना बंद हो जाता है। चश्मा लगाने से दृष्टिदोष ढक जाता है। चश्मा लगाने से नज़र की कमजोरी और बढ़ने लगती है। इसलिए दृष्टिदोष को दूर करने के लिए इसका प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना बहुत जरूरी है।

दृष्टिदोष होने के कारण:-

अप्राकृतिक रूप से भोजन का सेवन करने से भी दृष्टिदोष का रोग हो सकता है।

अंसतुलित भोजन, अम्लकारी उत्तेजक खाद्य पदार्थ, मिर्च-मसालेदार भोजन, खटाई तथा तली-भुनी चीजों को अधिक खाने से भी दृष्टिदोष रोग हो सकते हैं।

खाने में अत्यधिक गर्म तथा अधिक ठंडी चीजों का उपयोग करने से भी दृष्टिदोष रोग हो सकते हैं।

खाना खाकर तुरंत सो जाना, रात के समय में देर से सोना तथा सुबह के समय में देर से उठने के कारण भी दृष्टिदोष रोग हो सकते हैं।

छिलके के बिना दाल तथा चोकर के बिना आटे का अधिक भोजन में प्रयोग करने से भी दृष्टिदोष रोग हो सकते हैं।

सुबह के समय में उठते ही चाय पीने से भी दृष्टिदोष रोग हो सकते हैं।

बहुत अधिक टेलीविजन देखने, अधिक देर तक कंप्यूटर पर कार्य करने से भी दृष्टिदोष हो सकते हैं।

ऊंची एड़ी के जूते पहनने के कारण भी दृष्टिदोष रोग हो सकते हैं।

शरीर में विटामिन `ए´ की कमी होने के कारण भी दृष्टिदोष हो जाते हैं।

किसी तरह चोट या अन्य रोग (मधुमेह, उच्च रक्त्चाप, अधिक तनाव तथा कब्ज) के कारण दृष्टिदोष रोग हो सकते हैं।

अधिक बारीक काम जिसमें देखने में आंखों को बहुत मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे काम को करने से भी दृष्टिदोष रोग हो सकते हैं।

दृष्टिदोष का लक्षण:-

         इस रोग के कारण रोगी को बहुत कम दिखाई देता है तथा उसको आंखों से धुंधला दिखाई देने लगता है। इस रोग में व्यक्ति को बिना चश्मा लगवाए बिना आंखों से बिल्कुल साफ नहीं दिखाई देता है।

दृष्टिदोष तथा चश्मा हटाने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार

दृष्टिदोष रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी को बिना पके हुए भोजन का सेवन करना चाहिए।

रोगी व्यक्ति को ऐसे भोजन का अधिक सेवन करना चाहिए जिसमें विटामिन `ए´, `बी´, `सी´ की मात्रा की अधिकता पाई जाती हो जैसे- अंकुरित गेहूं, मूंग, चना, हरी सब्जी, दूध, दही, तथा फल।

दृष्टिदोष रोग को ठीक करने के लिए रात के समय में मुनक्का, किशमिश, अंजीर, छुहारा तथा खजूर को पानी में फूलने के लिए डाल दें। सुबह के समय में इसका सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।

प्रतिदिन गाजर तथा आंवले का रस पीने से दृष्टिदोष रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

यदि रोगी को रतौंधी (रात को दिखाई न देना) रोग हो गया हो तो पालक तथा गाजर का रस मिलाकर पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

सुबह के समय में सन्तरा, अंगूर तथा पत्तागोभी का रस तथा हरी सब्जियों का रस पीने से दृष्टिदोष रोग ठीक होने लगते हैं।

 नाश्ते में कालीमिर्च और बादाम खाकर गाय का दूध या गाजर का रस पिया जाए, तो दृष्टिदोष रोग कुछ दिनों के बाद ठीक हो जाता है।

4 बादाम 10 मिनट तक प्रतिदिन सुबह-शाम चबाने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

दृष्टिदोष रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह के समय में प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार जलनेति क्रिया करनी चाहिए और जब रोगी व्यक्ति सुबह के समय में उठे उसे अपने मुंह पर पानी के छींटे मारनी चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

दृष्टिदोष रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में खुली हवा में गहरी सांस लेनी चाहिए तथा नंगे पैर घास पर चलना चाहिए।

दृष्टिदोष रोग से पीड़ित रोगी को कम से कम 5 मिनट तक अपनी आंखों को बंद करके आंखों पर सूरज की धूप लेनी चाहिए।

दृष्टिदोष रोग से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक एनिमा लेना चाहिए तथा जलनेति, सूत्रनेति, पेट पर मिट्टी की पट्टी, कुंजल, कटिस्नान, मेहनस्नान, रीढ़स्नान, भस्त्रिका प्राणायाम तथा प्राणमुद्रा की क्रिया करनी चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

रोगी को सुबह के समय में अपने पैरों की तेल से मालिश करनी चाहिए तथा अपने दोनों पैरों के अंगूठों में तेल लगाना चाहिए।

दांतों की सफाई करते समय अपनी जीभ तथा पैर के तलवों को भी साफ करना चाहिए। इससे दृष्टिदोष रोग से पीड़ित रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को टेलीविजन अधिक नहीं देखना चाहिए तथा कंप्यूटर पर ज्यादा देर तक काम नहीं करना चाहिए।

दृष्टिदोष रोग से पीड़ित रोगी को कभी भी जरूरत से ज्यादा बारीक चीजों को नहीं देखना चाहिए नहीं तो इससे उनका रोग और बढ़ सकता है।

दृष्टिदोष रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को गर्म चीजों से परहेज करना चाहिए तथा वह कार्य नहीं करने चाहिए जिससे उसका रोग और बढ़ सकता है। इसके बाद रोगी को प्राकृतिक चिकित्सा से अपना उपचार कराना चाहिए।

दृष्टिदोष रोग को ठीक करने के लिए आंखों में प्रतिदिन नेत्र-ज्योति जल डालना चाहिए।

नेत्र ज्योति बनाने की विधि इस प्रकार है

 

         इस जल को बनाने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार सबसे पहले एक-एक भाग नींबू, प्याज तथा अदरक का रस ले लेते हैं। फिर इसके बाद 9 भाग शहद का रस लेकर और इन सभी को आपस में मिलाकर इसे एक शीशी में भर दें। ध्यान रहे कि यदि इस जल को बोतल में रखे बीस दिन से ज्यादा हो गए हैं तो इसे प्रयोग में न लाएं क्योंकि यह खराब हो सकता है। इस जल की बोतल को हो सके तो फ्रिज में रखें क्योंकि इसे फ्रिज में रखने से यह कई दिनों तक खराब नहीं होता है।

दृष्टिदोष रोग से पीड़ित रोगी के लिए कुछ व्यायाम भी है जिनको करने से उसे बहुत अधिक लाभ मिल सकता है

सबसे पहले रोगी को व्यायाम करने के लिए अपनी आंखों को कसकर बंद कर लेना चाहिए। इस क्रिया को कम से कम कुछ देर तक करने के बाद धीरे-धीरे आंखों को खोलना चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन व्यायाम करने से रोगी को बहुत अधिक फायदा मिलता है।

दृष्टिदोष रोग को ठीक करने के लिए एक व्यायाम यह है कि रोगी को अपने सिर और गर्दन को सीधा रखकर बिल्कुल सामने देखना चाहिए। फिर इसके बाद दाहिने तरफ देखना चाहिए और फिर से बाईं तरफ देखना चाहिए। इसके कुछ देर बाद आसमान की तरफ देखना चाहिए और इसके बाद पृथ्वी की तरफ देखना चाहिए। इस प्रकार से व्यायाम करने से कुछ ही दिनों के बाद दृष्टिदोष रोग ठीक होने लगते हैं।

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