Herbal Home remedies for Stomach Diseases, Gas Trouble, Reasons, Symptoms, Causes -“Herbal Treatment”

वायु विकार (पेट में गैस बनना) (Gas Trouble)

Gas Trouble – Reasons, Symptoms, Causes

 

परिचय:-

जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके पेट में गैस बनने लगती है जिसके कारण गैस बार-बार गुदा मार्ग से बाहर निकलती है या रुक जाती है। यह गैस बहुत बदबूदार होती है। इस रोग के कारण शरीर में वात रोग पैदा हो जाता है जैसे- बेचैनी, बदन में दर्द, पेट फूलना (अफारा), दिल घबराना, किसी कार्य को करने में मन न लगना, भूख का मर जाना, शारीरिक तथा मानसिक असंतुलन और स्नायुविक दुर्बलता आदि।

पेट में गैस बनने के कारण

          यह रोग अधिकतर कब्ज, खाना न पचना (अपच), भोजन का ठीक से चबाकर न खाना, मल तथा मूत्र देर तक रोकना, दूषित भोजन करना, शोक, भय, चिंता, तनाव तथा असंतुलित भोजन करना आदि के कारण से हो जाता है।

पेट में गैस बनने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

इस रोग से पीड़ित रोगी को कम से कम दो दिनों तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए। जिसके फलस्वरूप रोगी का यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

गर्म पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से भी यह रोग ठीक हो जाता है।

अदरक का रस तथा शहद मिलाकर दिन में 3 बार चाटने से रोगी को बहुत अधिक फायदा मिलता है।

कुछ दिनों तक लगातार मठ्ठा पीने से भी यह रोग ठीक हो जाता है।

रोगी व्यक्ति यदि कुछ दिनों तक फलों तथा सलाद का सेवन करें तथा इसके बाद कुछ दिनों तक अंकुरित अन्न खाएं तो पेट में गैस बनना रुक जाती है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को चोकर समेत आटे की रोटी खानी चाहिए।

रोग से पीड़ित रोगी को केवल 2 समय ही भोजन करने का नियम बनाना चाहिए।

रोगी को कभी भी अधिक गर्म या अधिक ठंडी चीजें नहीं खानी चाहिए।

सप्ताह में एक बार उपवास अवश्य रखना चाहिए ताकि पाचनतंत्र के कार्य पर भार न पड़े और खाया हुआ भोजन आसानी से पच सके तभी यह रोग ठीक हो सकता है।

गी व्यक्ति को चाय, चना, तली भुनी चीजें आदि नहीं खानी चाहिए।

रोगी व्यक्ति को भोजन करने के बाद वज्रासन करना चाहिए ताकि यह रोग पूरी तरह से ठीक हो सके।

प्रतिदिन भिगोए हुए 10 दाने मुनक्का तथा 2 अंजीर खाने से भी रोगी व्यक्ति को लाभ होता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन त्रिफला का चूर्ण पानी के साथ सेवन करना चाहिए तथा हरा धनिया खाना चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

प्रतिदिन छोटी हरड़ को मुंह में रखकर चूसने से भी यह रोग ठीक हो जाता है।

पेट में गैस बनने से रोकने के लिए रोगी को पेट पर गर्म-ठंडी सिंकाई करनी चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए तथा इसके बाद कटिस्नान करना चाहिए और फिर पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी कुछ समय के लिए लगानी चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

पेट में गैस बनने के रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार की यौगिक क्रियाएं तथा योगासन हैं जिसको करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन तथा यौगिक क्रियाएं इस प्रकार हैं- पश्चिमोत्तानासन, धनुरासन, शलभासन, उत्तानपादासान, भुजंगासन, हलासन, म्यूरासन, नौकासन तथा सुप्तपवन मुक्तासन आदि।

प्रतिदिन सुबह के समय में पीठ के बल लेटकर साइकिल चलाने की तरह अपने पैरों को 15 मिनट तक चलाने तथा उडि्डयान बंध व कपाल तथा प्राणायाम व्यायाम करने से भी यह रोग ठीक हो जाता है।

जानकारी

          प्रतिदिन इस प्रकार से व्यायाम करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

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