Herbal Home remedies for Intestine Diseases,”Gastric Ulcer”, “Anto amin Ghav ke Drad ka Ilaj”,Symptoms, Reasons, Causes-“Herbal Treatment”

आमाशय या आंतों में घाव होने के कारण दर्द(Gastric Ulcer) 

Gastric Ulcer-Symptoms, Reasons, Causes

 

परिचय:-

इस रोग में रोगी व्यक्ति के आमाशय में घाव हो जाता है जिसके कारण उसके पेट में बहुत तेज दर्द होता है। रोगी के शरीर के घाव आमाशय की दीवारों पर होते हैं। इस रोग को गैस्ट्रिक अल्सर भी कहते हैं। इस रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है।

आमाशय या आंतों में घाव होने के लक्षण:-

जब किसी व्यक्ति के आमाशय या आंतों में घाव हो जाता है तो उसके कारण उसके पेट में धीमा-धीमा दर्द होता रहता है। जब रोगी व्यक्ति खाना खा लेता है तो यह दर्द और भी तेज हो जाता है।

कभी-कभी तो इस रोग के कारण होने वाला दर्द रोगी व्यक्ति को खाना खाने से पहले ही शुरु हो जाता है और जब रोगी व्यक्ति खाना खा लेता है तो यह दर्द बंद हो जाता है।

रोगी व्यक्ति की नाभि के थोड़ा ऊपर तथा भीतर की ओर यह दर्द अधिक होता है। इस रोग के कारण कभी-कभी रोगी व्यक्ति को उल्टियां तथा मितली भी होने लगती है और जब रोगी व्यक्ति उल्टी कर देता है तो उसे पेट दर्द में थोड़ा आराम मिलता है।

इस रोग में कभी-कभी तो रोगी व्यक्ति को खून की उल्टी भी हो जाती है जिसका रंग थोड़ा काला होता है। इस रोग को डियोडिनल अल्सर भी कहते हैं। जब यह रोग बहुत अधिक पुराना हो जाता है तो घाव के पास से रक्तस्राव भी होने लगता है जिसके कारण रक्त दूषित हो जाता है।

इस रोग के होने के कारण रोगी व्यक्ति को और भी कई प्रकार के रोग हो जाते हैं।

आमाशय या आंतों में घाव होने के कारण :-

इस रोग के होने का प्रमुख कारण शरीर में विजातीय द्रव्य (दूषित मल) का अधिक जमा हो जाना है। ये विजातीय द्रव्य रक्त को दूषित कर देते हैं और पेट में कब्ज रोग का कारण बन जाते हैं जिसके कारण आमाशय और आंतों में घाव या सूजन हो जाती है। इसलिए कहा जा सकता है कि यह रोग अधिकतर कब्ज के कारण होता है।

वैसे यह रोग आमाशय तथा आंतों में किसी प्रकार की चोट लग जाने से भी हो सकता है क्योंकि आमाशय तथा आंतों में चोट लग जाने के कारण आमाशय और आंतों में घाव हो जाता है जिसके कारण यह रोग व्यक्ति को हो जाता है।

आमाशय या आंतों में घाव होने के कारण दर्द से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार आमाशय या आंतों में घाव होने पर जब रोगी व्यक्ति ठोस पदार्थ खा लेता है तो उसे बहुत कष्ट तथा परेशानी होती है। इसलिए इस रोग से पीड़ित रोगी को भोजन में किसी भी प्रकार के ठोस पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

आमाशय या आंतों में घाव से पीड़ित रोगी का इलाज करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन दिन में 3-4 लीटर दूध प्रत्येक 2-2 घण्टे पर दो-दो प्यालों की मात्रा में सुबह 7 बजे से रात्रि के 7 बजे तक पीना चाहिए तथा इसके साथ-साथ संतरे का रस भी पीना चाहिए और फिर इसके बाद धीरे-धीरे फलों या सब्जियों का रस पीना चाहिए। इसके बाद रोगी को फल और दूध तथा अंत में सादा भोजन एवं पानी पीना पीते रहना चाहिए।

आमाशय या आंतों में घाव से पीड़ित रोगी को कभी भी नमक का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से यह रोग और भी बढ़ सकता है।

आमाशय या आंतों में घाव से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन मीठा मठ्ठा सुबह तथा शाम को पीना चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को 2-3 दिन तक केवल पानी पीकर उपवास रखना चाहिए। फिर इसके बाद रोगी को कुछ दिनों तक दूध पीकर उपवास रखना चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

आमाशय या आंतों के घाव से पीड़ित रोगी के पेट में से जब तक कब्ज दूर न हो जाए तब तक उसे प्रतिदिन प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार एनिमा लेना चाहिए और इसके बाद सप्ताह में 2 बार प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा एप्सम साल्ट बाथ (गुनगुने पानी में थोड़ा सा नमक डालकर उस पानी से स्नान करना) करना चाहिए और इसके बाद 4 बार गर्म पानी से स्नान करना चाहिए। रात को सोने से पहले रोगी को ठंडा स्नान करना चाहिए तथा अपनी कमर पर गीली पट्टी बांधनी चाहिए।

आमाशय या आंतों में घाव से पीड़ित व्यक्ति को दिन में 2 बार पेट पर गीली पट्टी रखनी चाहिए। पेट में दर्द को ठीक करने के लिए पेट पर गर्म, ठंडी सेंक करनी चाहिए।

यदि आमाशय या आंतों में घाव से पीड़ित रोगी की उल्टी बंद नहीं हो रही हो तो ठण्डे जल में भीगे कपड़े या मिट्टी की ठंडी पट्टी पेट पर लगानी चाहिए। इससे रोगी की उल्टी जल्दी ही बंद हो जाती है।

यदि आमाशय या आंतों में घाव से पीड़ित व्यक्ति को खून की उल्टी हो रही हो तो उसे आराम से पीठ के बल लिटाना चाहिए और उसके मुंह में बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े डालते रहना चाहिए। इसके बाद रोगी को दिन में 2 बार मेहनस्नान और 2 बार तौलिया स्नान भी कराना चाहिए।

जानकारी-

          इस प्रकार से आमाशय या आंतों में घाव से पीड़ित रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करें तो उसका यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है तथा उसके पेट में दर्द होना भी बंद हो जाता है।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.