Herbal Home remedies for Pelvic Inflammatory Diseases,” Uterus Inflammation”,” Ovary Inflammation“Symptoms, Reasons, Causes-“Herbal Treatment”

डिम्बाशय और जरायु का प्रदाह (Uterus and Ovary Inflammation) 

Uterus Inflammation and Ovary Inflammation- Symptoms, Reasons, Causes

 

परिचय:-

इस रोग के कारण स्त्रियों की गर्भाशय ग्रीवा रोगग्रस्त हो जाती है और धीरे-धीरे यह रोग बढ़कर सम्पूर्ण गर्भाशय को घेर लेता है जिसके कारण गर्भाशय का भाग फूल जाता है और उसमें दर्द तथा जलन होने लगता है तथा इसके साथ-साथ श्लेष्मा मिश्रित रक्तस्राव होने लगता है। इस रोग के कारण रोगी स्त्री को अपने पेड़ू में भारीपन महसूस होता है और थकावट महसूस होने लगती है। इस रोग के कारण रोगी स्त्री के सिर में दर्द भी होने लगता है और कभी-कभी तो स्त्री को कपंकंपी भी होने लगती है तथा बुखार भी हो जाता है। जब रोग की अवस्था बहुत अधिक गंभीर हो जाती है तो योनि से बदबू भी आने लगती है और उसमें से रक्त का स्राव होने लगता है। इस रोग के कारण कभी-कभी योनि में सड़न भी होने लगती है।

डिम्बाशय और गर्भाशय के प्रदाह होने का कारण:-

इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण कब्ज और पेट में कीड़े हो जाना है।

जो स्त्री कई पुरुषों के साथ सहवास करती है उसे भी यह रोग हो जाता है।

अप्राकृतिक रूप से मैथुन-क्रिया करने के कारण भी यह रोग स्त्री को हो जाता है।

मासिकधर्म सम्बन्धी रोग हो जाने के कारण भी स्त्रियों को यह रोग हो सकता है।

डिम्बाशय और गर्भाशय की प्रदाह होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

इस रोग का उपचार करने के लिए रोगी स्त्री को सबसे पहले कम से कम 1 बार गर्म और ठंडे जल का डूश (गर्म जल में रुई को भिगोकर योनि में रखना) बारी-बारी से अपने योनि में रखना चाहिए।

रोगी स्त्री को दर्द वाली जगह पर गर्म तथा ठण्डी सिंकाई करनी चाहिए तथा अपने पेड़ू पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा दिन में 2 बार सुबह और शाम के समय में मेहनस्नान करना चाहिए तथा प्रतिदिन उदरस्नान करना चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से कुछ ही दिनों में स्त्री का यह रोग ठीक हो जाता है।

इस रोग से पीड़ित स्त्री को प्रतिदिन अपने भोजन में फल, कच्ची-पकी, साग-सब्जियां, मठा, दही तथा प्राकृतिक खाद्य-पदार्थों का उपयोग करना चाहिए।

रोगी स्त्री को प्रतिदिन हल्का व्यायाम करना चाहिए तथा स्वच्छ वायु में टहलना चाहिए तथा सांस की कसरते करनी चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

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