Herbal Home remedies for Eye Diseases,”Glaucoma”, “Kala Motia ka Ilaj” Symptoms, Reasons, Causes -“Herbal Treatment”

काला मोतियाबिन्द (Glaucoma) 

Glaucoma-Symptoms, Reasons, Causes

 

परिचय:-

बुढ़ापे के समय में मोतियाबिन्द रोग होना एक आम बात है। यह एक प्रकार का आंख का रोग है जिसके कारण जब कोई व्यक्ति प्रकाश की ओर देखता है तो उसे एक प्रकार का रंगीन घेरा दिखाई देता है। जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उसी समय इस रोग का इलाज न किया जाए तो यह रोग आगे चल कर अन्धेपन का रूप ले लेता है और रोगी व्यक्ति को कुछ भी दिखाई नहीं देता है। इस रोग के होने के कारण आंखों के नेत्रगोलकों में तनाव होकर आंखें सख्त हो जाती हैं।

मोतियाबिन्द रोग होने का कारण

          वैसे यह रोग आंख की आयु बढ़ने से होता है। मनुष्य जैसे-जैसे बूढ़ा होता जाता है वैसे-वैसे उसकी आंखों के लेंस की आयु भी बढ़ती है जिसके कारण उसकी आंख का लेंस पारदर्शी होता चला जाता है। लेकिन इस लेंस का पारदर्शी होना अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग समय में होता है। आंखों में दूषित द्रव्यों की रुकावट हो जाने के कारण आंखों में दूषित द्रव्य बढ़ जाते हैं जिसके कारण आंखों के नेत्रगोलक में तनाव बढ़ जाता है और आंखों में मोतियाबिन्द का रोग हो जाता है। मोतियाबिन्द रोग होने के और भी कई कारण होते हैं जैसे- आंखों में किसी प्रकार का संक्रमण होना, आंखों में किसी तरह से चोट लगना, मधुमेह रोग होना, औषधियों का अधिक इस्तेमाल करना, त्वचा पर किसी प्रकार की बीमारियां होना, आंखों में तेज खुजली होना तथा बिजली के तेज झटके लगना आदि। यह रोग जन्मजात भी हो सकता है जो मां-बाप से उसके बच्चों को हो सकता है। कुछ विशेष प्रकार की दवाइयों के प्रयोग से भी मोतियाबिन्द हो सकता है। यह रोग दूसरी चीजों से एलर्जी होने के कारण भी हो सकता है।

मोतियाबिन्द का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार

प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा मोतियाबिन्द रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को आंखों से पानी आने का उपचार कराना चाहिए। इसके बाद रोगी को विटामिन `ए` `बी` `सी` वाले पदार्थों का कुछ दिनों तक भोजन में लगातार सेवन करना चाहिए। ये पदार्थ कुछ इस प्रकार हैं- आंवला, सन्तरा, नींबू, अनन्नास, गाजर तथा पालक आदि।

मोतियाबिन्द के रोगी को इलाज के दौरान सबसे पहले अपने पेट को साफ करने के लिए एनिमा लेना चाहिए तथा इसके बाद अपने पेट पर मिट्टी का लेप करना चाहिए। रोगी को कुछ देर के बाद कटिस्नान करना चाहिए और फिर कुछ समय के लिए अपनी आंखों पर गीली पट्टी लपेटनी चाहिए। मोतियाबिन्द से पीड़ित रोगी को अपनी आंखों पर गर्म तथा ठंडी सिंकाई करनी चाहिए।

मोतियाबिन्द से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नीम की 5-6 पत्तियां खानी चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

जब मोतियाबिन्द रोग का प्रभाव कुछ कम हो जाए तो रोगी व्यक्ति को 1 सप्ताह तक फल तथा सामान्य भोजन खाना चाहिए।

इस रोग से पीड़ित रोगी को कभी भी भारी भोजन नहीं करना चाहिए और न ही मिर्च-मसाला, नमक, चाय तथा कॉफी का सेवन करना चाहिए।

जानकारी

          इस प्रकार से रोगी व्यक्ति का कुछ दिनों तक प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार किया जाए तो रोगी व्यक्ति का मोतियाबिन्द रोग कुछ दिनों के अन्दर ही ठीक हो जाता है।

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