Benefits of “Natural Treatment”,”प्राकृतिक चिकित्सा” “Prakritik Chikitsa” Natural way of treatment.

प्राकृतिक चिकित्सा (Natural Treatment)

   प्राचीन काल से ही हमें यह ज्ञात हो चुका है कि रोगों का इलाज हमारे चारों ओर उपस्थिति प्राकृतिक तत्वों की सहायता से किया जा सकता है। इन्हीं के कारण हमारा जीवन चलता रहता है। यदि किसी कारणवश यह अंसतुलित हो जाता है तो हमारा स्वास्थ्य खराब हो जाता है। एक ऐसी प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है जो बिना दवाओं के ही, व्यायाम, विश्राम, स्वच्छता, उपवास, आहार, पानी, हवा, प्रकाश, मिट्टी आदि के संतुलित उपयोग से शरीर को रोगों से मुक्त कर देती है तथा व्यक्ति को स्वस्थ और दीर्घ जीवन का रास्ता दिखाती है। वह “प्राकृतिक चिकित्सा“ पद्धति कहलाती है।

          प्राचीन समय में इटली में बच्चे के जन्म के बाद उसे खुले वातावरण में रातभर छोड़ देते थे। यदि बच्चा सुबह तक जीवित रहता है तो ही उसे जीवित रहने के योग्य माना जाता था। वैसे सुनने में यह पंरपरा पशुओं के आचरण के समान लगती है। परन्तु इटली के निवासी इस तरीके से अपने बच्चे में प्राकृतिक शक्ति का विकास करना चाहते थे। हमारे देश के उत्तर क्षेत्रों के कुछ गांवों में आज भी लोग नवजात शिशु को गंगा में नंगे बदन नहलाते हैं। “प्राकृतिक चिकित्सा“ सभी सभ्यताओं में किसी न किसी रूप से जुड़ी होती है। ताजी हवा, सूर्य का प्रकाश, स्नान, जल, उपवास तथा आहार पर संयम रखने के बारे में सभी चिकित्सा पद्धतियों में कहा गया है।

          सभी लोग स्वीकार करते हैं कि शरीर के बहुत से रोग तो बिना किसी दवा के ही ठीक किये जा सकते हैं। पेट में दर्द होना या अन्य किसी विकार का होना, उपवास करने से ठीक हो जाता है। पुरानी बीमारियों में रोगी का निवास स्थान परिवर्तन करके उसे दूसरी जलवायु में ले जाने से उसका स्वास्थ्य ठीक हो जाता है। कुछ लोगों को एक स्थान पर कोई बीमारी होती है और वह ठीक नहीं होती है लेकिन रोगी का स्थान परिवर्तन करने से उसकी बीमारी आसानी से ठीक हो जाती है। स्वच्छ जलवायु में रहने और संतुलित आहार का सेवन करने से बिना किसी औषधि के सेवन से ही रोगों की चिकित्सा की जा सकती है।

          प्राकृतिक चिकित्सा में समस्त बीमारियों के होने का प्रमुख कारण प्रकृति के नियमों का पालन न करना माना जाता है। प्रकृति के नियम के अन्तर्गत आहार का सेवन, कार्य, विश्राम, सांस लेने की प्रक्रिया तथा अधिक सोने और जागने सम्बंधी किसी भी असंतुलन के कारण हो सकता है।

          प्राकृतिक चिकित्सा के अन्तर्गत शरीर में बीमारियों के उत्पन्न होने का कारण विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं को उतना नहीं माना जाता जितना कि हमारे शरीर में ऐसी परिस्थितियों का उत्पन्न होना, जिनसे बीमारी उत्पन्न होती है। प्राकृतिक चिकित्सा के प्रथम सिद्धांत के अनुसार शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति स्वयं होती है जो सभी रोगों से शरीर की रक्षा कर सकती है। प्राकृतिक चिकित्सा करने से हमारे शरीर में एकत्र हुए हानिकारक पदार्थ भी नष्ट हो जाते हैं तथा हानिकारक पदार्थों का प्रभाव भी नष्ट हो जाता है। किसी भी प्रकार की बीमारी होने पर पूरा शरीर प्रभावित होता है। इसलिए इलाज भी पूरे शरीर का किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में प्रतिदिन शरीर की सफाई, नियमित व्यायाम, विश्राम, निद्रा, उपवास, आहार सम्बंधी नियम, पानी, हवा, सूर्य का प्रकाश तथा मिट्टी का संतुलित उपयोग किया जाता है। इसी कारण से प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति अन्य चिकित्सा पद्धतियों के बराबर ही लाभ देती है। यहीं नहीं प्राकृतिक चिकित्सा अनेक जटिल और असाध्य रोगों में एकमात्र चिकित्सा होती है।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.