गुर्दे और मूत्राशय में पथरी के लक्षण

पथरी से पेटदर्द

kidneystoneपेट दर्द के लिए पथरियाँ भी जिम्मेदार हो सकती हैं, जो प्राय: मूत्र-तंत्र, पित्त की थैली, पित्त नली या पोनिक्रयास में पायी जाती हैं | दर्द ही नही, पेट की पथरियाँ पेशाब में जलन, मूत्र का बार-बार आना या खून आना, गैस अपचन, पीलिया, डायबिटीज जैसी परेशानियाँ भी उत्पन्न कर देती हैं | बहुत से रोगियों में तो पथरी होने के बावजूद भी बहुत समय तक इनका पता नहीं चल पाटा क्योंकि रोगी के पेट का दर्द नहीं होता और इसीलिए पित्ताशय, अग्न्याशय और मूत्राशय एवं गुर्दे पर विपरीत प्रभाव निरन्तर पड़ता रहता है |

गुर्दे में पथरी

गुर्दे में पथरियाँ बन्ने के कई कारण सम्भावित माने जाते हैं, उदाहरणार्थ, गुदे में संक्रमण, मूत्र-मार्ग में रूकावट, एक लम्बे समय तक बिस्तर में लेते रहना, बहुत कम पानी पीना, पैराथायरायड ग्रंथि की कार्यशीलता बढ़ जाना| यह ग्रंथियाँ गर्दन में सामने की ओर स्थित थायरायड ग्रंथि के पीछे सटी रहती हैं | सरंचना के अनुसार गुर्दे में पथरियाँ मुख्य रूप से आक्सलेट, फॉस्फेट, यूरिक अम्ल या सिस्टीन पदार्थों की बनी होती हैं जिसका पता मूत्र की जाँच तथा पथरी की रासायनिक जांच करके मालोम किया जा सकता है |

गुर्दे की पथरी केवल एक हो सकती है अथवा कई, यह एक गुर्दे में हो सकती है अथवा दोनों में | पथरी अत्यंत सूक्ष्म हो सकती है अथवा बहुत बड़ी | एक बार पथरी निकल जाने के बाद रोगी सदैव के लिए मुक्त हो सकता है अथवा ये बार-बार बन सकती है पथरी केवल गुर्र्दे में ही हो सकती है अथवा साथ में मुत्रवाहिनी एवं मूत्राशय में भी |

लक्षण

गुर्दे में पथरी का मुख्य लक्षण पेट में दर्द है जो मुख्य रूप से पेट के दायें अथवा बायें भाग में कमर की और मालूम होता है | दर्द प्राय: भयंकर होता है जो अचानक उठता है और कुछ समय बाद बंद हो जाता है | कुछ वर्षा बाद या कई माह के बाद दर्द फिर उठ सकता है | कुछ रोगी दर्द को ‘गेस्ट्रिक’ के कारण या खानपान की गड़बड़ी के कारण समझकार ऐटऐसिड दवायें ले लेते हैं | एक्सरे कराने पर पथरी या स्टोन की छाया नजर आने पर निदान में सहायता मिलती है | कुछ रोगियों में दर्द हल्का उठता है जिसे वे कोलाइटिस का समझकर मोट्रोजिल जैसी दवायें लेते रहते हैं | कुछ रोगी कीड़े समझकर बार-बार मेबेक्स, वार्मिन या कोम्बेनिट्रन जैसी दवायें लेते रहते हैं |

मूत्र-तंत्र में संक्रमण

गुर्दे की पथरी के रोगी में मूत्र-तंत्र में संक्रमण प्राय: बार-बार हो जाता है जिसके कारण रोगी पेशाब में जलन, पेशाब का बार-बार आना, थोड़ा-थोड़ा सा बुखार आने की शिकायत रहती है | यदिकिसी व्यक्ति के मूत्र-तंत्र में बार-बार संक्रमण हो रहा हो तो यह पता लगाना बहुत आवश्यक हो जाता है कि ऐसा बार-बार क्यों हो रहा है ? ऐसे अधिकांश रोगियों में पथरी, डायबिटीज या शक्कर की बीमारी, प्रोस्टेंट ग्लैंड का बढ़ जाना, मूत्र-मार्ग की सरंचना के पैदायाशी (जन्मजात) खराबियाँ एवं मूत्र-मार्ग में किसी भी अन्य कारण से रूकावट इत्यादि हैं |

गुर्दे फेलयर

कुछ रोगियों के दोनों गुर्दे में पथरियों से खराबी आ जाने से उनकों अस्तपताल में तुरन्त भारती करना पड़ता है जो प्राय: मूत्र की मात्रा बहुत कम हो जाना, लगातार उल्टियाँ होने, भूख न लगना, रक्त की कमी हो जाना, त्वचा का रंग पीला-बादामी सा हो जाना, मुँह से ख़ास प्रकार की बदबू आना, साँस फूलना, ब्लड प्रेशर बढ़ जाना, बेहोशी आ जाना इत्यादि शिकायतें बताते हैं | ऐसा प्राय: रोग के निदान अथवा उपचार में देरी से हो जाता है |

मुत्रवाहिनी में पथरी गुर्दे से छनने के बाद मूत्र एक पतली नलिका (युरेटर) द्वारा मूत्राशय (यूरिनरी ब्लेडर) में आकर एकत्र रहता है | जब पथरी युरेटर में आकर फंस जाती है या जोर से नीचे खिसकने लगती है तो रोगी को भयंकर असहनीय पीड़ा होने लगती है | रोगी अपने घुटने ऊपर की ओर सिकोड़ कर एक करवट लेटकर दर्द निवारक दवा शीघ्रातिशीघ्र लेना चाहता है | युरेटर में पथरी का दर्द कमर से नीचे सामने की ओर जाता मालूम होता है | रोगी को उल्टियाँ होने लगती हैं, पसीना आने लगता है, बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होती है लेकिन पेशाब खुलकर साफ़ नहीं होता, पेशाब में खून भी आ सकता है | कभी-कभी पेशाब के रास्ते भयंकर दर्द के साथ पथरी बाहर आ जाती है |

मूत्राशय में पथरी

गुर्दे में बनी पथरी मुत्रवाहिनी में होकर मूत्राशय में आ सकती है अथवा यह मूत्राशय में ही (खासतौर से बच्चों में) बन सकती है | यूरिनरी ब्लेडर में पथरी का दर्द पेट के निचले भाग में अथवा मूत्रनली के अगले सिरे पर मालूम होता है | रोगी जब विस्तार पर लेट जाते हैं तो दर्द बहुत शान्त हो जाता है लेकिन उठने-बैठने पर, चलने-फिरने या साइकिल या रिक्शे पर बैठने से धक्के लगने पर दर्द बढ़ जाता है | दर्द के अलावा रोगी को बार-बार मूत्र तथा मवाद भी आ सकता है | रोगी को बुखार भी हो जाता है | कुछ रोगियों में पथरी होने के बावजूद भी दर्द नहीं होता |

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