Medicinal uses of herbal plant “Ashoka” in Ayurveda

अशोक 

संस्कृत नाम – हेमपुष्प, ताम्र, पल्लव

ashoka

अशोक के वृक्ष, मध्य एवं पूर्वी हिमालय, बंगाल तथा दक्षिण भारत में आशिक पाए जाते हैं | प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाला अशोक वाटिकाओं में, जंगलों में दिखाई देगा | इसका वृक्ष बिलकुल सीता खड़ा होता है | पतली टहनियों पर लंबे-लंबे हरे पते मन को भाते हैं, जो बहुत कोमल होते हैं | इन पर फल और फूल वसंत ऋतू में आते हैं | फूलों से फलियां बनती हैं |

लाभ 

लघु रुक्ष रस; कशायविक्त

इसका प्रयोग रकत प्रदर, स्वेत प्रदर, कष्टातर्व रक्तार्श एवं गर्भाशय के विकारों के लिए किया जाता है |

रक्त प्रदर में इसके चूर्ण को दूध में पकाकर प्रभात के समय सेवन करने से आराम मिलता है | इसके साथ ही, अस्थि संधानकर, स्त्री शोकनिवारक मलावरोधक, अपची, प्यास जैसे रोगों से भी मुक्ति मिलती है |

अशोक की छाल तथा चंदन को बराबर मात्रा में लेकर उन्हें सिल पर पीस लें | पीसने पर उसमें-30 ग्राम चवन का धौअन, 50 ग्राम मिश्री, 10 ग्राम शहद, इन सबको मिलकर दिन में चार बार सेवन करवाने से, हर प्रकार का रक्त प्रदर रोग, चार-पांच दिन में ठीक हो जाता है |

अशोक की अंत छाल 50 ग्राम, 250 ग्राम पानी में रात को भिगोकर रखें, सुभ उठकर उसे हलकी आंच पर पकाएं फिर नीचे उतारकर छानकर थोड़ी मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाने से आराम मिलेगा |

 

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